window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-VQJRB3319M'); सरस्वती हत्याकांड: 100 टुकड़ों में काटा, उबाला, भूना और कुत्तों को खिलाया - MPCG News

सरस्वती हत्याकांड: 100 टुकड़ों में काटा, उबाला, भूना और कुत्तों को खिलाया

सिर और पैर के 40 टुकड़े बरामद, आरोपी मनोज के पास करोड़ों का फ्लैट

मुंबई। तारीख 7 जून और रात के तकरीबन 9 बज रहे थे। मुंबई से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर ठाणे के मीरा भायंदर इलाके की आकाशदीप सोसाइटी का फ्लैट नंबर-704 अचानक सुर्खियों में आ गया। यहां रहने वाले एक 56 साल के मनोज साने ने पहले अपनी 32 साल की पत्नी सरस्वती वैद्य को मारा। फिर लाश को 100 से ज्यादा छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा। इन टुकड़ों को कुकर में उबाला, गैस पर भूना और फिर उन 3 कुत्तों को खिलाया, जिन्हें उसकी पत्नी बहुत प्यार करती थी।

मनोज के फ्लैट से एक इलेक्ट्रिक कटर, कुकर, दो बकेट और एक टब में रखे सरस्वती के बॉडी पार्ट बरामद हुए हैं। 8 जून को जब हम आकाशदीप सोसाइटी पहुंचे तो चारों ओर सन्नाटा पसरा था। मेन गेट पर खड़ा गार्ड हर आने-जाने वाले से सवाल कर रहा था। यहीं हमारी मुलाकात सोसाइटी के चेयरमैन प्रताप जैसवाल से हुई। उनके मुताबिक, ‘पिछले 4-5 साल से मनोज साने और सरस्वती यहां रह रहे थे। वे ज्यादा लोगों से बातचीत नहीं करते थे। सिर्फ मॉर्निंग वॉक के दौरान कभी-कभी हमने इन्हें कुत्तों को बिस्कुट खिलाते हुए देखा था।’

सिर-पैर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर दो बाल्टी में रखा था…

प्रताप से मुलाकात के बाद हम गीता आकाशदीप सोसाइटी के 7वें फ्लोर पर पहुंचे। यहां 701 नंबर फ्लैट में रहने वाले राहुल श्रीवास्तव से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने बताया, ‘घर का दरवाजा जैसे ही खुला बदबू बहुत तेज हो गई। ड्राइंग रूम में मैंने एक इलेक्ट्रिक ग्राइंडर देखा। अंदर जाने पर पेड़ को काटने वाला कटर देखा। यहीं बेड पर कुछ काले रंग के प्लास्टिक बैग पड़े हुए थे। बदबू इतनी तेज थी कि अंदर खड़े रहना मुश्किल था। जब किचन खोला गया तो हमें भरोसा है नहीं हुआ। वहां बॉडी के पार्ट्स काट कर रखे गए थे। सिर, पैर के हिस्सों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर दो बाल्टी और एक टब में रखा गया था।’

दरवाजा खोलते ही परफ्यूम छिड़क रहा था, इसलिए शक बढ़ा

मनोज के फ्लैट के ठीक बगल में 701 नंबर में रहने वाली रुचिरा ने बताया, ‘5 जून से ही बदबू आ रही थी। 704 वाले पहले तो दरवाजा नहीं खोल रहे थे, जब गेट खुलवाया गया तो मनोज परफ्यूम स्प्रे कर रहा था, इसलिए शक और बढ़ गया था।’

रुचिरा आगे बताती हैं, ‘सरस्वती हमेशा घर में रहती थी और मनोज बाहर जाता था। दोनों को कभी बात करते भी नहीं देखा। आमतौर पर बिजली का बिल देने वाला, कूरियर वाला या कोई और आता तो सरस्वती काफी देर खटखटाने के बाद दरवाजा खोलती थी, लेकिन मनोज जब आता तो वो तुरंत गेट खोल देती। ऐसा लगता था कि दोनों के बीच दरवाजा नॉक करने का भी कोई कोड था। इनके घर में एसी-कूलर और फ्रिज भी नहीं था।’

सोसाइटी के लोगों ने कुत्तों को भुना हुआ मांस खिलाते देखा

विनोद की तरह ही सोसाइटी के सेक्रेटरी सुरेश चव्हाण बताते हैं, ‘सरस्वती तीनों कुत्तों से बहुत प्यार करती थीं। मनोज 3 तारीख के बाद से अकेले टहलने आ रहा था। कई लोगों ने देखा था कि वो कुत्तों को बिस्कुट देने की जगह रोटी और कुछ भुनी हुई चीजें खिला रहा था।’ हमने पूछा कि क्या यह सरस्वती के बॉडी पार्ट्स हो सकते हैं, इस पर किसी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

हड्डियों को मांस से अलग कर सके इसलिए उन्हें उबाला…

मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया, ‘मनोज के किचन से हमने एक कुकर जब्त किया है। इसमें वो सरस्वती के कटे हुए बॉडी पार्ट्स को उबाला करता था। वो हड्डियों से मांस को अलग करने के लिए ऐसा किया करता था। इससे उन्हें ठिकाने लगाना आसान हो जाता है।’

पार्टनर के चरित्र पर संदेह हो सकता है हत्या का कारण

पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि मनोज शक्की था। उसे सरस्वती पर बेवफाई का शक भी था। पुलिस फ़िलहाल इसे ही हत्या की सबसे बड़ी वजह मान रही है। वह सरस्वती को 10वीं का एग्जाम दिलाने की तैयारी कर रहा था। मनोज उसे घर में ही पढ़ाता भी था, फ्लैट की एक दीवार पर एक बोर्ड मिला, जिस पर गणित के फॉर्मूले लिखे हुए थे।

जांच में मनोज ने कबूल किया है कि पकड़ा न जा सके इसलिए शव को टुकड़ों में काट ठिकाने लगा रहा था। काटे टुकड़ों को बाल्टी, टब, कुकर और रसोई में अन्य बर्तनों से बरामद किया गया है। इनकी संख्या 100 से ज्यादा है और 40% से ज्यादा बॉडी पार्ट को मनोज डिस्पोज कर चुका था।

मनोज एक राशन की दुकान पर काम करता था। उसके पास आईटीआई का डिप्लोमा था, लेकिन वह 10 साल से इसी राशन की दुकान पर काम कर रहा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब आरोपी से पूछताछ की गई तो उसके चेहरे पर कोई पछतावा नहीं दिखा।

हत्या से पांच दिन पहले हुआ था बेरोजगार

मामले की जांच करते हुए हम अंधेरी इलाके की उस राशन शॉप तक पहुंचे जहां मनोज कम कर रहा था। हालांकि ये दुकान अब बंद है। पूछताछ करने पर पता चला कि 29 मई को ट्रस्ट ने इसे बंद कर दिया था। मनोज की नौकरी भी जा चुकी थी। मनोज को पूरे महीने काम के बदले सिर्फ 5 हजार रुपए मिला करते थे। अंधेरी और मनोज के घर के बीच तकरीबन 5 किलोमीटर की दूरी है और महीने का पेट्रोल का खर्च ही उसका 2 हजार से ज्यादा होता था। ऐसे में सवाल उठा कि आखिर मनोज यहां नौकरी क्यों कर रहा था।

मनोज के पास करोड़ों का फ्लैट, 40 हजार आता था किराया

इस सवाल का जवाब जानने हम ट्रस्ट के ऑफिस पहुंचे और वहीं एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर हमें बताया, ‘मनोज अनाथ है। इसके बावजूद वह करोड़ों के एक 2BHK फ्लैट का मालिक है। इसे इस फ्लैट से 40 हजार रुपए महीने के हिसाब से रेंट मिलता था। मनोज बहुत बड़ा शराबी था। पूरे दिन नशे में धुत रहता था। कई बार दुकान में शराब पीते हुए भी पकड़ा गया था। उसकी इन्हीं हरकतों से दुकान की कमाई कम होती जा रही थी और फिर इस बार की मीटिंग में हमने शॉप बंद करने का निर्णय लिया।’

9 साल से एक-दूसरे के साथ थे मनोज और सरस्वती

पुलिस की छानबीन में सामने आया है कि मनोज और सरस्वती पहली बार 2014 में राशन की दुकान पर मिले थे। दोनों अनाथ थे, इसलिए उनमें नजदीकियां बढ़ीं और फिर वे साथ रहने लगे। बोरिवली में कुछ समय साथ रहने के बाद 2017 में वे मीरारोड के गीतानगर में फेज-7 में शिफ्ट हो गए थे। इसके बाद वे पहले जी विंग में रह रहे थे, फिर 2020 से वे बी विंग के फ्लैट नंबर 704 में रहने लगे। हमने मनोज को फ्लैट दिलवाने वाले ब्रोकर प्रकाश शाह से भी संपर्क किया। प्रकाश ने बताया कि दोनों चार साल पहले उनसे पहली बार मिले थे। वे जिस फ़्लैट में रहते थे वह बिल्डर का था और उसका रेंट 9 हजार रुपए था।

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