ट्रीटमेंट के नाम पर अवैध उगाई और एक्सपायरी दवाई देना कोई इस अस्पताल से सीखे
जीत आमरवंशी, 9691851267
सारनी। बैतूल जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन बे पटरी होते जा रही है जिसका सबसे बड़ा कारण है बैतूल जिला मुख्यालय पर बैठे सीएमएचओ रविकांत उइके के द्वारा मामलों पर कार्रवाई करने की बजाय लीपा पोती करना, जिसके चलते क्षेत्र में धड़ल्ले से फर्जी डॉक्टर क्लीनिक खोलकर लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं । ताजा मामला सारनी बगडोना का है जहा पर संचालित मेहतराम फ्रैक्चर हॉस्पिटल के अंदर संचालित मेडिकल मरीजों के लिए यमराज बना हुआ है। जहा पर एक्सपायरी दवाइयां देकर मरीज को स्वस्थ्य करने की जगह बीमार किया जा रहा है ।
दरअसल मामला घोड़ाडोंगरी ब्लॉक अंतर्गत बगडोना क्षेत्र के मेहतराम फ्रैक्चर अस्पताल का है जहां 28 सितंबर को प्रमिला महोबिया नामक महिला अपने कंधे के फ्रैक्चर के इलाज के लिए इस अस्पताल पहुंची, जहां इलाज के दौरान उन्हें अस्पताल के भीतर स्थित मेडिकल स्टोर से दवाइयाँ दी गईं, जिनकी एक्सपायरी डेट बहुत नजदीक थी। प्रमिला महोबिया के बेटे ने अस्पताल के स्टोर से डॉक्टर की सलाह पर दवाइयाँ खरीदीं। तीन दिन तक लगातार दवाई लेने के बाद, जब महिला के शरीर में सूजन और अन्य असामान्य लक्षण दिखने लगे, तो परिवार ने दवाइयों की पैकेजिंग को ध्यान से देखा। उन्होंने पाया कि दवाओं की एक्सपायरी डेट 30 सितंबर थी। यह जानकारी मिलते ही परिवार में हड़कंप मच गया। जब परिवार ने अस्पताल स्टाफ से इस गंभीर लापरवाही की शिकायत की, तो अस्पताल प्रबंधन ने इसे हल्के में लेते हुए कहा कि एक्सपायरी डेट में अभी 2 दिन बचे थे, जिससे उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को टालने की कोशिश की। यह रवैया अस्पताल की गंभीरता की कमी और मरीजों के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता को उजागर करता है।
स्वास्थ्य पर खतरा: लापरवाही की गंभीरता
यह मामला प्राइवेट अस्पतालों में हो रही लापरवाही की चिंताजनक स्थिति को सामने लाता है, जहाँ मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एक्सपायर्ड दवाओं के सेवन से मरीजों की हालत और भी खराब हो सकती है, जिससे अन्य गंभीर बीमारियाँ या स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस प्रकार की लापरवाही से न केवल मरीजों की जान जोखिम में पड़ती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
अस्पतालों की विश्वसनीयता पर सवाल
यह घटना स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि प्राइवेट अस्पतालों में मुनाफाखोरी के चलते, मरीजों की सुरक्षा को दरकिनार किया जा रहा है। अस्पतालों में चल रहे निजी मेडिकल स्टोर्स के जरिए दवाओं की अदायगी में लापरवाही आम होती जा रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हॉस्पिटल प्रशासन और स्टाफ अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं हैं। अगर इस विषय की उच्च स्तरीय जांच की जाए, तो कई अन्य लापरवाही के मामले भी सामने आ सकते हैं।
यह घटना सिर्फ एक चेतावनी नहीं है, बल्कि एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करती है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मरीजों की सेहत और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। स्वास्थ्य विभाग को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। भविष्य में इस तरह की लापरवाही को रोकने के लिए प्राइवेट अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स की कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। इसके अलावा, मरीजों को जागरूक करना भी जरूरी है कि वे अपनी दवाओं की एक्सपायरी डेट को खुद भी ध्यान से देखें, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर लापरवाही पर जागेगा और ठोस कदम उठाएगा, या फिर इसे भी अन्य मामूली मामलों की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा ?
इनका कहना है –
(1) आप शिकायती आवेदन कर दीजिए जांच टीम गठित कर दी जायेगी
रविकांत उइके सीएमएचओ बैतूल
(2) मामला आपने बताया है मेरे द्वारा कार्यवाही की जायेगी।
संजीव शर्मा बीएमओ घोड़ाडोंगरी
(3) कोई एक्सपयार दवाई देगा तो कार्यवाही की जायेगा
प्रवीण, ड्रग स्पेक्टर बैतूल