उमरार नदी का नाता उमरिया के जन्म से जुड़ा हुआ है इतिहास विदो की माने तो उमरार नदी के किनारे लगा हुआ ऊमर का पेड़ था जिससे इस नदी का नाम उमरार पड़ा और उमरार के बाद उमरिया का नाम पड़ा यह नदी उमरिया की जीवन दायनी कही जाती है लगभग दो दशक से पहले इस नदी का जल भी निर्मल होता था और लोग इसके पानी का उपयोग पीने के साथ साथ बड़े बूढ़े बच्चे इसमें तैराकी का आनंद लेते थे लेकिन आज इस नदी की स्थिति यह है की इसके नजदीक जाने में लोग घबराते है उमरिया जिले में इस नदी ने अपने जन्म से दर्जनों गांवों को अपना पानी पिलाया है लेकिन आज इस स्थिति का जिम्मेदार कौन निश्चित रूप से वर्षो से चली आ रही सरकारें और प्रशासन और आम जनमानस इसका जिम्मेदार है क्योंकि आज दिनांक तक सरकार और प्रशासन ने इसके उद्धार के लिए कोई ठोस रोड मैप नही है वर्षो से नदी के किनारे कब्जे का खेल चल रहा जिसे रोक पाने में प्रशासन नाकाम साबित हुईं हैं इस वजह से ही सीवर का सारा गंदा पानी नदी में ही विलीन हो रहा है शहर के इस गंदे पानी के निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है वर्षों से यह गंदा पानी नदी को मैला कर रहा है आज लंबे समय के बाद जिले में ऐसे अधिकारी का पदार्पण हुआ जिनके द्वारा नदी को पुनः पुराने स्वरूप में पहुंचाने का संकल्प लिया गया जिनके आह्वान के बाद बहुत सारे सामाजिक संगठनों ने नदी सफाई का जिम्मा उठाया और लगातार आज भी श्रमदान किए जा रहे हैं इस पहल की सराहना केवल सत्ता धारी पार्टी के लोगों ने नहीं बल्कि विपक्ष पार्टी के लोगों ने भी कलेक्टर उमरिया के इस काम की सराहना की है निश्चित रूप से यह सराहना करने योग्य है लेकिन विद्वानों का यह भी मानना है केवल श्रमदान से नदी को पुराने स्वरूप में नहीं ले जाया जा सकता इसके लिए सरकार और प्रशासन को ठोस कदम उठाने होंगे आज इस सदी में बढ़ रहे बच्चे तैराकी जैसे गुण से वंचित है और भविष्य में शायद इस गुण को सीख भी नही पाएंगे क्योंकि इसके लिए उमरिया जिले कोई रास्ता नही है हर व्यक्ति इतना सक्षम नहीं है कि वह वाटर पार्क जैसी महंगी जगह में जाकर बच्चों को तैराकी के गुण सिखाए या सिखा सकें क्योंकि यह गुण सीखना एक 01 या 2 दिन का काम नहीं है यह तो साइकल जैसे सतत प्रयास का काम हैै जिसमें एक लंबा समय लगता है आज नदी की इस दुर्दशा के कारण ही नल जल योजना को उमरिया स्थित डेम से जोड़ा गया और इससे केवल केवल इतना ही हुआ की लोगों की समस्याएं और बढ़ गई क्योंकि नल जल योजना का ये हाल है की आज भी लोगो तक सही तरीके से पानी नहीं पहुंच पाा रहा है विगत वर्ष इस नल जल योजना के बाद डेम में पानी के कमी का हवाला देते हुए दूसरे सबसे महत्वपूर्ण काम खेती के लिए पानी नहीं दिया गया जिससे जिले का अन्नदाता परेशान हुआ ये कैसी व्यवस्थाएं है लोगो के समझ के परे है सूत्रों की माने तो अभी तक नदी के नाम पर केवल केवल पैसों का बंदर बांट किया गया है न जाने जब तक जिले वाशियो को वो उमरार नदी फिरसे वापस मिलेगी जिसमे लोग छलांग लगाकर गोताखोरी करते हुए तैराकी के गुण सीखा करते थे
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