फर्जी जॉब कॉर्ड बनाकर लगभग 5 करोड़ का किया पेमेंट
अधिकारी कर रहे जांच की बात, कांग्रेस ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के सिहाड़ा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का अनोखा खेल सामने आया है। भ्रष्टाचार के लिए ऐसे नायाब तरीके इजाद किए जो योजना बनाने और क्रियान्वित करने वालों के कान खड़े कर देगा। मनरेगा योजना में लगभग 5 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है। ग्राम पंचायत सिहाड़ा में फर्जी और समानांतर जॉब कार्ड बनाकर लाखों रुपए की मजदूरी के भुगतान का फर्जीवाड़ा किया गया। जॉब कार्ड में भी हिंदू परिवारों में मुस्लिम सदस्य और मुस्लिम परिवारों में हिंदू सदस्य जोड़े गए। उनके नाम पर मजदूरी दिखाई गई और पैसा निकाला गया।
खास बात यह है कि जॉब कार्ड से संलग्न जो खाते खोले गए वह भी इंडियन पोस्टल बैंक, फिनो बैंक, एयरटेल पेमेंट बैंक जैसी माइक्रो फाइनेंस और एप्लीकेशन बेस बैंकों में खोले गए। कुछ खातेदार तो विदेशों में रह रहे हैं उनके नाम पर भी जॉब कार्ड में मजदूरी दर्शाई गई और उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया। पूरे मामले की जांच 2 महीने से चल रही है, लेकिन अभी तक मुकाम पर नहीं पहुंची।
आपने एयरटेल पेमेंट बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक, फिनो बैंक जैसी बैंकों के नाम कभी कभार ही सुने होंगे। ग्राम पंचायत के कर्मचारियों ने जॉब कार्ड धारी परिवार के समानांतर दूसरा फर्जी जॉब कार्ड बनाया और उसमें 1, 2 नए नाम जोड़ दिए। इन्हीं नामों के आधार पर इन्होंने इस तरह की माइक्रो फाइनेंस और पेमेंट ट्रांसफर करने वाली बैंकों में मोबाइल सिम के माध्यम से खाता खोलें। इसके बाद इस समानांतर फर्जी जॉब कार्ड के सदस्यों को मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में मजदूरी करना बताया और मजदूरी की राशि इन खातों में ट्रांसफर की। मजदूरी करने वाले कुछ लोग तो विदेशों में भी रहते हैं। जबकि मूल ओरिजिनल कार्ड जॉब कार्ड धारी को इस बात का पता ही नहीं चला। ऐसा लगभग 2018 से 2021 तक हुआ और करोड़ों रुपए के सरकारी धन का हेरफेर कर भारी भ्रष्टाचार किया। यह सब कुछ प्रारंभिक जांच में सामने आया है, फिलहाल जांच जारी है।
अब हम आपको हकीकत बताते हैं। जिस खेत में हम पहुंचे वहां पर किसान 3 साल से फसल पैदा कर रहा है। फिलहाल इसमें चुकंदर की खेती हो रही है। इसी जगह पर ग्राम पंचायत ने किसान के खेत में खेत तालाब बनाया और उसकी राशि निकाल ली गई। किसान को जब पता चला की तालाब बना ही नहीं और पैसे निकल गए तो उसने दो महीने पहले शिकायत की थी। किसान का कहना है कि खेत में फसल लगी है और कागज में मैं यहां मछली पालन भी कर रहा हूं।
गांव के ही धीरज मालाकार ने बताया कि उसके घर के सामने सीमेंट रोड बना। साथ ही नाली निर्माण भी किया गया और उसमें उनको और उनकी पत्नी को मजदूरी करना दिखाया। जिस तारीख की मजदूरी दर्शाई गई उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थी और वह अस्पताल में था। लगभग डेढ़ लाख रुपए की मजदूरी का भुगतान हो गया. किसे हुआ पता नहीं चला। यही हाल सोहनलाल का भी है. उनका कहना है कि उनके मूल जॉब कार्ड में से भैया भाभी को अलग कर दिया और उसे स्वयं को अलग करते हुए दो अलग-अलग समानांतर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। इनमें फर्जी मजदूरी दर्शाई गई और पैसा भी निकाल लिया।
ऐसे ही एक बुजुर्ग महिला बसु बाई भी है। जिनके पति लकवा पीड़ित है। इनके घर में शौचालय बनाया गया और 12 हजार रु निकाल लिए गए। हकीकत में शौचालय में सिर्फ तीन दीवाल अधूरी बनी है। जिसमें शौचालय की शीट भी नहीं लगाई गई। वह और उनके पति आज भी शौच के लिए बाहर जाते हैं। बसु भाई उम्रदराज महिला है इनके नाम पर भी कई निर्माण कार्य में मजदूरी दर्शाई गई।