मुलताई। नगर के अंबेडकर वार्ड में करीब पौने 5 साल पहले आपसी विवाद में अपने पिता की हत्या कर शव को दीवान में छुपाने वाले आरोपी पुत्र को द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।अपर लोक अभियोजक भोजराज सिंह रघुवंशी ने बताया अंबेडकर वार्ड निवासी रिटायर्ड व्याख्याता रमेश वर्मा का बीते 7 जुलाई 2018 को सुबह 11 बजे के दरमियान पुत्र आनंद के साथ दवाई खाने की बात को लेकर विवाद हुआ था। दोपहर करीब 12:30 बजे आरोपी का छोटा भाई अतुल कपड़े सुखाने के लिए डालकर छत से नीचे आ रहा था तो मकान के फर्स्ट फ्लोर पर भाई आनंद पिता के कमरे से घबराते हुए निकलते नजर आया और आनंद के होठ और हाथ के पंजे पर खून लगा हुआ था। अतुल ने बड़े भाई आनंद से खून लगने का कारण पूछा तो आनंद ने टालमटोल जवाब देते हुए अतुल को कमरे में जाने से मना कर दिया और दोपहर 2 बजे के दरमियान आनंद घर में रखी स्कूटर लेकर कहीं चला गया और रमेश भी घर में नजर नहीं आए। अतुल ने दो-तीन दिन तक आनंद और उसके पिता रमेश के कहीं चले जाने की बात किसी को यह सोच कर नहीं बताई कि झगड़ा करके गए होंगे और वापस आ जाएंगे। लेकिन 3 दिन तक दोनों वापस नहीं लौटे तो अतुल ने बेंगलुरु में रह रही बहन दीपाली को पिता रमेश और भाई आनंद के लापता हो जाने की जानकारी दी और दीपाली के कहने पर 10 जुलाई को पुलिस थाने में पिता रमेश और भाई आनंद की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 11 जुलाई को दीपाली बेंगलुरु से और उसका मामा अशोक भोपाल से शाम करीब 4 बजे मुलताई पहुंचे और घर पर पहुंचने पर पिता रमेश के कमरे से दुर्गंध आने और फर्श पर कीड़े रेंगते दिखने पर दीवान को खोलकर देखा तो दीवान के अंदर रमेश का शव पड़ा हुआ था। जिसकी जानकारी अतुल ने पुलिस थाने में दी । पुलिस ने इस प्रकरण में केस दर्ज कर विवेचना की तो यह सामने आया कि रिटायर्ड शिक्षक रमेश के साथ पुत्र आनंद का उपरी मंजिल के कमरे में विवाद हुआ था। विवाद के दौरान आनंद ने चाकू से वार कर पिता रमेश की हत्या कर दी और हत्या करने के बाद शव कमरे में रखे दीवान में ही छुपा दिया था और स्कूटी लेकर भाग गया था। विवेचना उपरांत पुलिस ने आरोपी पुत्र आनंद वर्मा के खिलाफ धारा 302 भादवि सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया। द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने प्रकरण की सुनवाई उपरांत आरोपी आनंद वर्मा को धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।