अनुविभागीय अधिकारी जुन्नारदेव के द्वारा कार्यवाही नहीं करने पर उच्च अधिकारी एवं कलेक्टर के पास जाने का सभी आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ता बना रही मन।
जुन्नारदेव राकेश कुमार बारासिया।
परियोजना अधिकारी जुन्नारदेव के प्रताड़ना से प्रताड़ित होकर अब सभी कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल लिया है विगत कुछ समय पहले कलेक्टर को पर्यवेक्षकों द्वारा परियोजना अधिकारी के खिलाफ आवेदन दिया गया था, जिस पर कोई उचित कार्यवाही नहीं हुई इसके पश्चात मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी परियोजना अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए, आज फिर सैकड़ो की संख्या में जुन्नारदेव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता उपस्थित होकर परियोजना अधिकारी के खिलाफ अनुविभागीय अधिकारी जुन्नारदेव को ज्ञापन दिया है।
निम्न बिंदुओं पर आज आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ ने दिया आवेदन एवं उचित कार्यवाही की,, की मांग।
1 ) डुंगरिया सेक्टर में पर्यवेक्षक श्रीमति छाया यादव को परिवर्तित करने के लिए डुंगरिया सेक्टर की सभी कार्यकर्ताओ से 20,000/- बीस हजार अधिकारी के द्वारा नवनीत अग्रवाल के माध्यम से लिया गया था।
2) शासकीय एवं अन्य शासकीय भवन में संचालित आंगनवाडी केन्द्रो के लिए रंगाई पुताई की राशी कार्यकर्ताओ के खाते में 5000/- एवं 8,000/- आई थी जिस राशी का उपयोग हमे रंगाई पुताई के लिए करना था किन्तु इस राशी में से हमसे 2,500/- एवं 3,000/- की राशी नवनीत अग्रवाल के द्वारा वसूल की गई। नही देने पर हमे धमकी दी गई, की नही देने पर तुम्हारी सेवा समाप्त कर दिया जायेगी। हम डरी हुई कार्यकर्ताओं को मजबूरी में पैसे देने. पड़े।
3) कार्यकर्ताओं से मीटिंग के दौरान परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले के द्वारा मूर्ख, नालायक, बेवकूफ, पागल औरते, कचरा औरते तुम लोग 13000/- मानदेय के लायक नही हो, सरकार तुम पर फिजूल पैसा बर्बाद कर रही है, झापड मार दूंगी, कमरे में बंद करके मारूंगी, ऐसे शब्द का प्रयोग करती है जो उनके लिए आम बात है।
4) परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले के द्वारा हम आंगनवाडी कार्यकर्ताओ की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाई जाती है, हमको कहा जाता है कि कोई भगवान वगवान नही होता अगर भगवान होता तो तुम लोग किसी अच्छी पोष्ट पर कार्य कर रही होती। चैत्र की नवरात्री के समय अष्टमी नवमी के दिन हमे शाम के सात बजे तक वार्ड नं. 03 के आंगनवाडी केन्द्र में शाम सात बजे तक बैठाया गया और वृत होने के कारण छुट्टी मांगने पर कहा गया कि कोई भगवान नही होते, मैं इन सब चीजों को नहीं मानती अगर तुम्हारा भगवान होता तो आज तुम लोगों को मेरी नोटिस से बचा लेते, और व्रत के कारण तुम लोग बेहोश भी हो जाओगी तो मैं तुम लोगों के उपर से निकल जाऊगी। ऐसे ऐसे शब्दो का प्रयोग परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्मकोले के द्वारा किया जाता है।
5) परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले के द्वारा एक वाट्सएप ग्रुप आंगनवाडी खोलने एवं बंद होने का बनाया गया है जिस ग्रुप में हमे केंद्र खोलने एवं बंद होने की फोटो डालना होता है। किसी कारण वश अगर हम एक मिनिट भी देर से फोटो डालते है इस कारण से हमारा मानदेय तीस से पांच दिन का काट दिया जाता है। जबकि बहुत सारी कार्यकर्ताऐ बहुत कम पढी लिखि है या तो अनपढ भी है, जिस कारण से वह लोग किसी अन्य व्यक्ति से फोटो खिचवांकर ग्रुप में भेजती है और फोटो के साथ ही केन्द्र का नाम न लिखा होने पर भी मानदेय काटने की धमकी दी जाती है।
6) लक्ष्मी आमरे मिनि आंगनवाडी केन्द्र कोपासाडी सेक्टर बिलावर कला की कार्यकर्ता को परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले के द्वारा मानसिक एवं शारिरिक रूप से प्रताडित किया गया, जिसके कारण से उसका चार वर्षों से मानसिक संतुलन खराब हो चुका है इसके बाद भी परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले के द्वारा उसे परेशान करना नही छोडा गया। आज भी कभी भी उसे लेटर दे दिया जाता है जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन और भी अधिक बिगड जाता है। उक्त शिकायत के आधार पर परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले के विरुद्ध उचित कार्यवाही करने की मांग सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ ने की है।
दिनांक 16/09/24 को पर्यवेक्षक सीमा धुर्वे का जन्म दिन था। उनके दुवारा समस्त व्रतधारी महिलाओं को उपवास में गन्ने का रस दिया गया, किन्तु ट्रे में रखे गन्ने के रस के ग्लास उठाने पर कार्यकर्ता प्रीति विश्वकर्मा जिसका व्रत था उस को फटकार लगाई गई व सहायिका कुसुम को समस्त कार्यकर्ताओं व पर्यवेक्षको के समक्ष अपमानित कर बोला कि हरामखोर कार्यकताओ को गन्ने का रस किस खुशी में पिला रही है। इससे यह प्रतीत होता है परियोजना अधिकारी मैडम में बिल्कुल भी मानवता व इंसानियत नहीं है। मैडम हम सभी की धार्मिक आस्थाओ के साथ भी खिलवाड़ कर रही है और फलाहार ग्रहण करने पर भी अत्यंत भयभीत कर चुकी है।
नम्रताराय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सबके समक्ष बुरी तरह लताड़ा गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर बोला गया भाग यहाँ से निकल जा बाउन्ड्री के बाहर। दिनांक 17/4/24 को रामनवमी के दिन शासकीय अवकाश था इसके बाद भी समस्त आठों पर्यवेक्षकों को वार्ड नं. ३ में यह कहकर बुलाया गया कि “जिसका उपवास है और जिसका नही है सभी को बैठक में आना ही है। मैं नहीं मानती कोई रामनवमी, मैं तो यहाँ रात 8 बजे तक बैठूंगी”सभी को रात 8 बजे तक यहां बैठना ही है” जबकि 2 दिवस बाद लोकसभा चुनाव था। मैडम द्वारा हमें जबरन बिना किसी काम के रोका गया।