वन महकमे के अधिकारियों की नाकामी: पुराने ट्रांसपोर्ट परमिट पर विभाग ने सौंप दी बेशकीमती लकड़ी
वन विभाग की मनमानी से लकड़ी माफियाओं की चांदी लकड़ी तस्करों की बल्ले- बल्ले
(*दैनिक प्राईम संदेश जिला) ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला (*रायसेन*)
रायसेन।सामान्य वन मण्डल रायसेन सर्किल के तहत रायसेन, गैरतगंज गढ़ी देवनगर, सिलवानी उदयपुरा देवरी जैथारी क्षेत्र में लकड़ी तस्करों के गिरोह लंबे अरसे से वनकर्मियों से याराना संबंध की वजह से जमकर इमारती लकड़ी सागवान और जलाऊ लकड़ी का गोरख धंधा जोरों पर चल रहा है। छोटे बड़े कई अवैध फर्नीचर मार्ट चल रहे हैं। जहां सागौन की लकड़ी के डबल बेड खिड़की दरवाजों कुर्सियों डायनिंग टेबल से लेकर चौखट सरेआम बनाई जाती हैं ।यह सबखेल वन कर्मचारियों की मिली भगत से चल रहा है।हालांकि ऐसा नहीं है कि वन महकमे के अधिकारियों को इस बात की कोई खबर नहीं है। इसके बावजूद भी अवैध फर्नीचर बनाने का गोरख धंधा सेधड़ल्ले से चल रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में सिलवानी क्षेत्र के शालाबर्रु में दो दलित परिवारों के घरों में सहायक परिक्षेत्र मनीष छारी सहित वन अमले में छापा मार कार्यवाही की तो लोग दंग रह गए। और सिलवानी नगर में ही कई छोटे-बड़े फर्नीचर मार्ट खुलेआम चल रहे हैं। इनमें कुछ कुछ मीडिया कर्मी तो कुछ बीजेपी कांग्रेस के नेता भी शामिल है। करीब डेढ़ महीने पहले डीएफओ विजय कुमार ने वन अमले के साथ अवैध फर्नीचर मार्ट ठिकानों पर छापेमारी कार्यवाही को अंजाम दिया गया था।यहां से बड़े पैमाने पर इमारती लकड़ी सागौन की सिल्लियां जब्त कर सनसनी फैला दी थी।
यहां चल रहे अवैध फर्नीचर की दुकानें… डीएफओ साहब जरा एक नजर इधर भी
तहसील सिलवानी के आदिवासी बहुत क्षेत्र प्रतापगढ़ नारायणपुर खमरिया रायपुरा बिछुआ आदि क्षेत्रों में भी बैंड कर्मचारियों की साथ घाट से सागौन के फर्नीचर बनाने की दुकान जमकर चल रही हैं यह फर्नीचर बनाने वाले लाइसेंस होल्डर के बिल बनाकर रायसेन भोपाल जबलपुर सागर शेरों में बेचकर जमकर कमाई कर रहे हैं सिलवानी वन विभाग के अधिकारियों को भी सब कुछ पता है। लेकिन चाह कर भी इन पर छापामार कार्यवाही नहीं करते। जागरूक ग्रामीणों ने समान मंडल रायसेन के डीएफओ विजय कुमार से इन गांवोंमें भेज कर यहां छापामार कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है।
नकली टीपी का खेल… कोई चैक करने वाला नहीं
हमेशा अखबारों की सुर्खियों में बना रहने वाला गढ़ी वनपरिक्षेत्र में नकली टीपी से सागौन की सिल्लियां परिवहन का खेल चल रहा है।टीपी असली है कि नकली रेंजर हीरेन्द्र पांडेय को इसकी जांच करने की जरा सी भी फुर्सत नहीं है। इसके अलावा देवनगर और गैरतगंज में भी कई अवैध आरा मशीन मिनी आरा मशीन और जलाऊ लकड़ी का कारोबार बगैर लाइसेंस के चल रहा है। एक महिला पुलिस अधिकारी के पति की आरा मशीन पर अवैध रूप से फर्नीचर बनाने का कार्य जोरों पर है इसके अलावा जिला और लखनिया होटल एवं भावों में सप्लाई हो रही है महिला पुलिस अधिकारी का फायदा उठाते हुए उनके पति फर्नीचर बनाने बेचने का जमकर कारोबार कर कमाई में जुटे हुए हैं। यहां भी वन अमले की टीम को छापा मार कार्यवाही करना चाहिए।नकली टीपी के मामले में गढ़ी रेंजर पांडेय का कहना है कि अभी
जांच अभी चल रही है और मेरे पहुंचने से पहले ही पुलिस ने ट्रैक्टर को छोड़ दिया था और वन विभाग को सौंप दिया था ।वन विभाग के कुछ वन कर्मियों द्वारा ट्रैक्टर ट्राली में भरी लकड़ियों को आरा मशीन भेज दिए गया था। मुझे भी इस बात पर संदेह है कि मेरे पहुंचने से पहले ही लकड़ियों को आरा मशीन भेज दिया गया। इस मामले में हमारे द्वारा जांच अभी प्रचलित है और इसमें पुलिस और वन कर्मियों के बयान भी लिए जाएंगे जो भी दोषी होगा उसे पर कार्रवाई की जाएगी।
सूचना पर थाना प्रभारी द्वारा ट्रैक्टर को पकड़ा गया था। जिसके संबंध में डिपो प्रभारी से जानकारी मांगी थी डिपो प्रभारी द्वारा जानकारी उपलब्ध कराने के बाद ट्रैक्टर को छोड़ दिया गया है। डिपो प्रभारी ने बताया है कि वह लकड़ी डिपो से जारी की गई थी, जिसका ट्रांसपोर्ट परमिट भी जारी किया गया है।
वन विभाग के कर्मचारियों की मनमानी और लापरवाही के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। विभाग की लापरवाही और मनमानी को लेकरजनप्रतिनिधियों भी कई बार खुले मंचों से इन पर मिली भगत के आरोप लगा चुके हैं। हालत यह हैं कि जंगलों को बचाने में वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। तो वहीं इनकी कारगुजारी पर वरिष्ठ अधिकारी पर्दा डालते हुए नजर आ रहे हैं। पूर्व में गढ़ी वन परिक्षेत्र में एक ट्रैक्टर-ट्रॉली को जब्त किया था जिसमें सागौन की लकड़ी भरी हुई थी। आरोप है कि यह लकड़ी लटेरी के डिपो से भरकर ले जाई रही थी। जब उक्त मामले को लेकर पुलिस ने डिपो प्रभारी से इस लकड़ी के संबंध में जानकारी ली तो वह बगलें झांकने लगे।