window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-VQJRB3319M'); *खातेगांव कन्नौद से नए कांग्रेसी दीपक जोशी उम्मीदवार* - MPCG News

*खातेगांव कन्नौद से नए कांग्रेसी दीपक जोशी उम्मीदवार*

खातेगांव-

कन्नौद विधानसभा क्षेत्र यह मानकर चल रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री एवं भाजपा शासन की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आक्रोश से भरे हुए हाल ही में भाजपाई से कांग्रेसी हुए दीपक जोशी उम्मीदवार होंगे। भाजपा में उम्मीदवार का क्या होगा, इस पर असमंजस बरकरार है, विधायक आशीष शर्मा तीसरी बार चुनाव समर में उतरेंगे या फिर भाजपा कोई नया नकोर चेहरा लेकर जनता के बीच आएगी? इस बात को तो मानना ही पड़ेगा कि पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक जोशी के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने से देवास जिले में कांग्रेस मजबूत हुई है। यह बिल्कुल नहीं भूला जाना चाहिए कि दीपक जोशी ने अपने संत पिता पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कैलाश जोशी की मरणोपरांत हुई उपेक्षा का हवाला देकर भाजपा छोड़ी है और यह नई भाजपा का सबसे बड़ा दोष है, आडवाणी, अटलजी, मुरलीमनोहर जोशी से लगाकर कैलाश जोशी तक, सबके बलिदान को आज के भाजपा नेताओं ने भुला दिया है। सत्ता मद में मदांध भाजपा नेताओं की इस असंवेदनशीलता को लेकर भाजपा संगठन के अनेक समर्पित नेता कार्यकर्ता आहत है,द्रवित हैं।उन आहत, द्रवित भाजपा नेता कार्यकर्ताओं की एक स्वाभाविक सहानुभूति दीपक जोशी के पक्ष में काम करने वाली है, दीपक जोशी अकेले कांग्रेस में नहीं आए हैं, अपितु अपने पिता कैलाश जोशी का संतत्व भी साथ में लाए हैं,निश्चय ही दीपक जोशी के कांग्रेस में आने से कम से कम देवास जिले में तो कांग्रेस मजबूत हुई है। खातेगांव-कन्नौद विधानसभा क्षेत्र में तो वे भाजपा नेता के रूप में घूमे है और विधायक विरोधी भाजपा नेताओं ने उन्हें प्रतिसाद भी अच्छा दिया था,अब वे कांग्रेसी है, लेकिन संबंध एवं संपर्क तो यथावत है। इस पर दीपक जोशी प्रादेशिक राजनीति का प्रतिष्ठित ब्राह्मण चेहरा है और खातेगांव-कन्नौद विधानसभा क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र माना जाता हैं। वर्तमान विधायक आशीष शर्मा के साथ दर्जनों विरोधाभास जुड़ गए हैं, जिससे ब्राह्मण मतदाता भी विधायक से खिन्न बताए जा रहे हैं, यदि कांग्रेस इस विधानसभा क्षेत्र से दीपक जोशी को चुनाव लड़ाने वाली है तो,वह एक तीर से तीन निशाने साधने वाली है। हाटपीपल्या,बागली विधानसभा सीट दीपक प्रभाव से अछुती रहने वाली नहीं हैं। दीपक जोशी के नाम की संभावना के साथ ही क्षेत्र में कांग्रेस के अन्य दावेदारों को लेकर भी चर्चा हो रही है कि दीपक जोशी के नाम को लेकर इनके बीच क्या हलचल होती हैं? दीपक जोशी को लेकर बाहरी उम्मीदवार होने का सवाल बेमानी हो जाता है, क्योंकि पूर्व मंत्री का तमगा उन्हें प्रदेश स्तरीय पहचान प्रदान करता है और यह तमगा उन्हें प्रदेश के लिए बाहरी नहीं रहने देता तो देवास तो उनका अपना गृह जिला है। जहां तक कांग्रेसी दावेदारों की बात है तो खातेगांव-कन्नौद विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक कैलाश कुंडल है, जो भाजपा की कमजोर उम्मीदवार कमलाबाई अग्रवाल को नाममात्र के वोटों से हराकर विधायक बने थे। कुंडल को कांग्रेस ने लोकसभा उम्मीदवार भी बनाया, लेकिन उनके चुनाव हारने का सिलसिला चालू हो गया और सन् 1998 में वे ब्रजमोहन धूत से विधानसभा चुनाव हार गए। कुंडल ऐसे व्यक्ति से चुनाव हारे थे जो पार्षद का चुनाव नहीं जीत पाए थे। 2003 में नारायण सिंह चौधरी को टिकट दिया वे भी चुनाव हार गए। सन् 2013 में श्याम होलानी चुनाव लड़े थे,जो आशीष शर्मा से लगभग इक्कीस हजार वोट से चुनाव हार गए थे। हार का अंतर अधिक होने से श्याम होलानी 2018 में चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, अतः जिलाध्यक्ष रहते हुए अपने समर्थक औम पटेल को टिकट दिला दिया, वे भी चुनाव हार गए।गौतम बंटू गुर्जर का नाम भी दावेदारों में बताया जा रहा है,जिनकी पहचान क्षेत्र में रेत माफिया की बनी हुई और जो दूधिया इंदौर के निवासी हैं।औम पटेल हो, कैलाश कुंडल हो या फिर गौतम बंटू गुर्जर हो, कोई भी आशीष शर्मा के सामने ईमानदार, दमदार विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पाया। ऐसे में दीपक जोशी का टिकट होता है तो ही खातेगांव कन्नौद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीद कर सकती।

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