एक हाथ में झाड़ू, दूसरे में तिरंगा और गले में रोटी की माला
बुरहानपुर। अब तक आपने कई प्रदर्शन देखे होंगे जिसमें लोग भूख हड़ताल करते हैं, कोई बाल मुंडवा लेता है तो कोई खुद को आग तक लगा लेता है। लेकिन कहते हैं न कि मध्य प्रदेश अजब है तो यहां के प्रदर्शन भला गजब कैसे न हों।
दरअसल प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक शख्स पिछले 6 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। लेकिन आजादी के दिन यानी 15 अगस्त के बाद आज उसने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर बेहद अनोखा प्रदर्शन किया जहां उसने एक हाथ में झाड़ू तो दूसरे हाथ में तिरंगा थामा था। वहीं उसके गले में रोटियों की माला थी। इस प्रोटेस्ट को जिसने भी देखा वह हैरान रह गया।
रिश्वत नहीं दी तो नौकरी से निकाल दिया
दरअसल बुरहानपुर नगर निगम में संविदा पर कार्य कर रहे संजय सिंह को अचानक परमानेंट होने से पहले बगैर किसी कारण नौकरी से निकाल दिया गया।संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि सुपरवाइजर के नौकरी देने के एवज में प्रतिमाह 2 हजार रुपये देने की मांग की जा रही थी। लेकिन मैंने रिश्वत देने का विरोध किया। जिसके चलते सुपरवाइजर ने मुझे पिछले 6 साल पहले नौकरी से निकाल दिया था। तब से लेकर आज तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही। पीड़ित का कहना है कि मेरी सारी योजनाएं बंद कर दो लेकिन मुझे रोजगार दे दो। क्योंकि रोजगार ना होने के कारण मेरे सामने परिवार के पालन पोषण का संकट खड़ा हो गया है। इसी के चलते आज कलेक्टर कार्यालय में उसने रोटी की माला पिरोकर अपने गले मे डालकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर रोजगार की मांग की है।
पीड़ित ने कलेक्टर के नाम एक पत्र लिखते हुए कहा, उसने नगर पालिक निगम मे दैनिक वेतन सफाई कर्मचारी के पद पर सन 1988 से सन 2018 तक पूरी इमानदारी से सफाई सेवक के रूप में अपना कार्य किया। लेकिन साल 2017 में पूर्व भ्रष्ट सेक्टर अधिकारी सतीश बुरहानपुर से लालबाग में बदली होकर आया और अपने पद का गलत प्रयोग कर कर्मचारियों को कार्य से बंद करने की धमकी देते हुए समस्त कर्मचारियों से रिश्वत के रूप में 2000 रुपये प्रतिमाह लेता रहा। जब रिश्वत का विरोध किया तो सेक्टर अधिकारी ने मुझ प्रार्थी को बिना किसी लिखित नोटिस के कार्य से बंद कर दिया। आज वर्तमान में विगत 6 सालों से मैं घर बेरोजगार बैठा हूं। मुझ पर आर्थिक संकट आने से लाखों रुपये का कर्जा हो गया है। जिससे मै और मेरा पूरा परिवार परेशान है। 2 किलो गेहूं एवं 1200 रुपये से भी मेरा परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है। मेरी विनती है कि मुझे न्याय देकर मुझे रोजगार दिया जाए।