जुन्नारदेव। राकेश कुमार बारासिया।
जुन्नारदेव विधानसभा छिंदवाड़ा जिले की सबसे बड़ी विधानसभा मानी जाती है जिसमें लगभग लगभग 95 से ज्यादा ग्राम पंचायतें हैं जुन्नारदेव जनपद पंचायत से ज्यादातर ग्राम पंचायत दूरस्थ होने के कारण खोले ही नहीं जाते, क्योंकि दूरस्थ ग्राम पंचायत को इस बात का ज्ञान है की कोई भी अधिकारी उनकी ग्राम पंचायत तक आकस्मिक निरीक्षण के लिए पहुंचेंगे ही नहीं। इसीलिए दूरस्थ अंचल में जो ग्राम पंचायत स्थित है उनमें ताले लटके रहते हैं। ग्राम पंचायत आलमोद पश्चिम दिशा की ओर जुन्नारदेव विधानसभा का आखिरी ग्राम पंचायत है यह ग्राम पंचायत 15 दिन या महीने में कभी कभार खुलता है ग्राम वासियों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत में हमेशा ताला लगा रहता है और कोई भी पंचायत कर्मी पंचायत में आता ही नहीं है केवल ग्राम सभा की बैठक के लिए पंचायत खोली जाती है। ग्राम पंचायत में सरपंच, उप सरपंच, पंच, सचिव, रोजगार सहायक, मोबिलाइजर, एवं चौकीदार इतने लोग पदस्थ होते हैं। बावजूद इसके महीनो तक पंचायत का ताला नहीं खुलता। ग्रामवासी के पास अगर कोई समस्या हो तो वह अपनी समस्या लेकर कहां जावेगा। ग्रामवासियो का यह भी कहना है की सरपंच को पंचायत खोलने के लिए कहा जाता है तो ग्राम से नाम काटने की बात कही जाती है। इस तरह की मनमानी ग्राम पंचायत में बदस्तूर जारी है। ग्रामवासीयो को शासन की योजनाओं का लाभ इसलिए भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है क्योंकि शासन की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचने वाले ग्राम पंचायत कर्मी ही अपना कार्य सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। ऐसे में ग्राम का विकास कैसे संभव है क्योंकि शासन के सभी योजनाएं शासन के सभी आदेश ग्राम पंचायत कर्मियों तक ही पहुंचते हैं लेकिन पंचायतकर्मी ही शासन के आदेशों और नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं। क्योंकि उन्हें किसी भी प्रकार से किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का कोई डर नहीं है। इसलिए पंचायत कर्मी बेखौफ होकर पंचायत में मनमानी कर रहे है और अपना राज चल रहे हैं।