window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-VQJRB3319M'); तहसील अधिकारियों की सांठगांठ से हुआ नामांतरण, राजस्व विभाग की कर्मचारी मीना पचोरिया ने फर्जी हस्ताक्षर कर बनवाया वसीयतनामा - MPCG News

तहसील अधिकारियों की सांठगांठ से हुआ नामांतरण, राजस्व विभाग की कर्मचारी मीना पचोरिया ने फर्जी हस्ताक्षर कर बनवाया वसीयतनामा

असल हकदार लगा रहे कोर्ट, से लेकर थाने तक के चक्क

बैतूल। फर्जी वसीयतनामा बनवाकर राजस्व विभाग में पदस्थ नायब तहसीलदार ने सांठगांठ व लेनदेन के चलते फर्जी तरीके से जमीन दूसरे के नाम कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। इस तरह की घटना भीमपुर तहसील क्षेत्र से निकलकर आई है जहां महिलाएं पीड़ित अपनी जमीन पाने के लिए कोर्ट, कचहरी से लेकर थाने तक के चक्कर लगा रही है। यह तो पहला मामला सामने आया है, अब तक न जाने नायब तहसीलदार ने कितने लोगों के इस तरीके से फर्जीवाड़े को अंजाम देकर अपनी जेब भरने का काम किया होगा।

वसीयत की गई सत्यापित कॉपी

इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई है शिकायतकर्ता लता जयसवाल, किरण (गीता) पेठे का कहना है कि नायब तहसीलदार के कार्यकाल की जांच होनी चाहिए तभी अन्य काले कारनामे खुलकर सामने आ सकते हैं। शिकायतकर्ता ने राजस्व विभाग में पदस्थ मीना पचोरिया के द्वारा फर्जी हस्ताक्षर कर कूट रचित फर्जी दस्तावेज (वसीयतनामा) तैयार कर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

कलेक्टर से हुई शिकायत

दरअसल मामला शिकायत आवेदन में उल्लेख किया गया है कि अनावेदक मीना पचोरिया तहसील भीमपुर राजस्व विभाग में चैनमेन (चपरासी) के पद पर पूर्व में कई वर्षों से पदस्थ थी और वर्तमान में एसएलआर कार्यालय बैतूल में पदस्थ है जिनके द्वारा राजस्व विभाग में रहकर हमारे पिता किशोरीलाल पचोरिया के नाम की फर्जी वसीयत दस्तावेज बनाकर मीना पचोरिया स्वयं के द्वारा पिता की फर्जी साइन कर हम तीन बहनों के नाम लता पिता किशोरीलाल, किरण (गीता) पिता किशोरीलाल, संगीता पिता किशोरीलाल वसीयत से हटा दिए गए। और संपूर्ण हमारे हिस्से की प्रॉपर्टी पर धोखाधड़ी छल कपट कर प्रॉपर्टी हड़प ली है।
जबकि पटवारी हल्का नंबर 39 मौजा भीमपुर खसरा नंबर 304, 317 हमारे दादा परदादा की पैतृक संपत्ति है और 433/24 शासन से पट्टे की प्राप्त भूमि है दोनों ही पैतृक एवं पट्टे से प्राप्त भूमि पर वसीयत नहीं कि जा सकती है और हमारे पिता किशोरीलाल राजस्व विभाग में पटवारी थे उन्हें राजस्व की पूरी जानकारी थी। इसलिए वह ऐसा गलत वसीयतनामा नहीं बना सकते।

न्यायालय ने वसीयत को बताया फर्जी 

उक्त महिला मीना पचोरिया द्वारा फर्जी साइन कर फर्जी दस्तावेज बनाए गए और स्वयं तहसील में पदस्थ रहकर विभाग में फर्जी 420 धोखाधड़ी का अपराधिक कार्य किया हैं। पूर्व में अधीनस्थ न्यायालय एसडीएम भैंसदेही द्वारा सत्यापित जांच में पाया गया की फर्जी दस्तावेज भीमपुर तहसील में अपंजीकृत वसीयतनामा के आधार पर नामांतरण की कार्रवाई की गई है और अपंजीकृत वसीयत के गवाहों द्वारा प्रमाणीकरण भी नहीं किया जाना पाया गया। मूल पुरुष किशोरीलाल पचोरिया की दो पत्नीया थी जिसके कारण सभी वरसानो के हक एवं नाम होना आवश्यक है लेकिन इस घोषणा का क्षेत्राधिकारीता इस न्यायालय को प्राप्त नहीं है अतः अभय पक्ष सक्षम न्यायालय में आवेदन कर न्याय प्राप्त कर सकते हैं। यह कथन एसडीएम न्यायालय भैंसदही द्वारा कहा गया इससे स्पष्ट होता है की यह वसीयतनामा अवैध व फर्जी है। और भीमपुर तहसील विभाग के अन्य लोग भी मामले में लिप्त है। मीना पचोरिया अपराधिक प्रवृत्ति की महिला है जिसकी पूर्व में भी कई बार ग्रामीणों व अन्य लोगों द्वारा शिकायत की गई है लेकिन महिला राजस्व विभाग की होने के कारण तहसीलदार भीमपुर द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जाती है। जबकि इन सभी आरोपों के सत्यापित प्रमाण हमारे पास है और इस आवेदन के साथ संलग्न भी किए हैं।

राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाने की मांग

शिकायतकर्ता का कहना है कि उनकी आर्थिक एवं मानसिक स्थिति बहुत खराब है। फर्जी वसीयत की जांच फॉरेंसिक राइटिंग एक्सपर्ट से करवा कर न्याय दिलवाए और मीना पचोरिया चैनमैन (चपरासी) द्वारा दस्तावेजों में फर्जी साइन कर फर्जी वसीयत से धोखाधड़ी छल कपट कर प्रॉपर्टी हड़पने जैसा अपराधिक कार्य किया है उक्त राजस्व विभाग की महिला को तत्काल बर्खास्त कर एफ आई आर दर्ज करवाने की कार्रवाई की जाए जिससे ऐसे अपराधिक एवं अवैध कार्य करने वाले अपराधिक लोगों को सबक मिल सके।

एक्सपर्ट व्यू...

फर्जी वसीयत और दस्तावेजों में फर्जी हस्ताक्षर के मामलों में सजा के प्रावधान है। अगर कोई वसीयत में फर्जी हस्ताक्षर करता है और जांच में सत्य पाया जाता है तो धारा 420 के तहत जेल और जुर्माना हो सकता है और सरकारी विभाग में कार्यरत होने पर नौकरी भी जा सकती है। किन्ही उत्तराधिकारियों को बेदखल किया गया है और ऐसी बेदखली क्यों की गई है, इस बात की जानकारी नहीं दी गई है, उन कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है जिन कारणों से कुछ उत्तराधिकारियों को संपत्ति नहीं दी गई है तब भी वसीयत फर्जी मानी जा सकती है। अगर किसी व्यक्ति ने कुछ उत्तराधिकारियों को संपत्ति देने से इनकार किया है तब ऐसे इनकार के आधार भी बताया जाना चाहिए।

अवध हजारे, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व जिला अध्यक्ष अधिवक्ता संघ।

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