आखिर लाश किसकी थी, अब बेटी भाई को न्याय दिलाने खा रही दर दर की ठोकरें
छिंदवाड़ा। जिले के अमरवाड़ा के सिंगोड़ी चौकी के अंतर्गत 13 जून 2014 को कंचन नामक लड़की जोपनाला ग्राम से लापता हो गई थी। परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की और बाद में जब वह नहीं मिली तो उसकी गुमशुदगी की सूचना पुलिस को दी। साल 2015 से 2021 तक केस नहीं सुलझ पाया। यह केस दोबारा 2021 को खोला गया। मध्यप्रदेश शासन ने ऑपरेशन मुस्कान चलाया गया जिसमें वे लड़कियां जो नाबालिग है और कहीं चली गई हैं। उन्हें ढूंढकर वापस उनके घर पहुंचाना इस ऑपरेशन का उद्देश्य था।
ऑपरेशन के तहत कंचन का भी केस शामिल था। इसी के तहत पुलिस ने उसके लापता होने के मामले फिर पूछताछ शुरू की।पुलिस को उसके पिता और भाई के पर शक हुआ। जिसके बाद दोनों से पूछताछ की गई। पुलिस की मानें तो पिता और भाई ने कंचन की हत्या कर आम के झाड़ के नीचे गड़ाने की बात कबूल की। पुलिस ने जमीन में दफन शव को बाहर निकाला और जांच पड़ताल के बाद हत्या का मामला पंजीबद्ध कर आरोपी पिता और भाई को जेल भेज दिया। लेकिन कुछ दिन पहले 2023 में कंचन अपने घर जिंदा पहुंच गई। इससे ऐसा लगता है कि पुलिस ने केस बंद करने जबरिया पिता और भाई से जुर्म कबूल करवा लिया। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पेड़ के नीचे दफन लाश किसकी थी?
सिंगोड़ी चौकी पहुंचकर कंचन ने कहा कि मैं जिंदा हूं, इसलिए जेल में बंद मेरे भाई को रिहा किया जाए। पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के चलते पुलिस मानने को तैयार ही नहीं है कि उनकी जांच पड़ताल में कोई गलती थी। पुलिस के रिकॉर्ड में कंचन मृत है, इसलिए जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती उसके भाई को जेल से बाहर लाने का प्रयास करने के लिए पुलिस तैयार नहीं है। भाई अभी भी जेल में बंद है परिजन उसको बाहर लाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं है। इस हठधर्मिता के चलते अंबेडकर जयंती के अवसर पर अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह और आदिवासी समाज ने बस स्टैंड सिंगोड़ी में तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर कंचन को न्याय दिलाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।