खाने के तेल पर बढ़ी कस्टम ड्यूटी ने बिगाड़ा किचन का बजट,कमरतोड़ महंगाई से आमजन परेशान नेता मंत्री घूम रहे लग्जरी कार जीपों में महंगाई पर कोई नियंत्रण नहीं
तेल के भाव
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
सोयाबीन तेल : 95-135
सरसों तेल : 130-165
मीठा तेल : 100-135
वनस्पति घी: 120-135
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(नोट : भाव रुपए प्रति लीटर)
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रायसेन।तेजी से बढ़ती कमरतोड़ महंगाई से आमजन हलाकान है।खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि से निश्चित ही आम उपभोक्ता का बजट गड़बड़ाएगा ।लेकिन आत्म निर्भर भारत के निर्माण में यह सराहनीय कदम है। आयात शुल्क में वृद्धि से किसान भाइयों को तिलहन के उचित दाम मिलेंगे। जिससे हमारे तिलहन रक़बे में बढ़ोत्तरी होगी एवं समस्त प्लांट रिफ़ाइनरी चालू रहेंगे। लोग बेरोज़गार नहीं होंगे।संतोष साहू रायसेन व्यापार महासंघ एवं उद्योग महासंघ
आटा भी महंगा: आटे की कीमत में भी प्रतिकिलो दो से पांच रुपए का इजाफा हुआ है।
कस्टम ड्यूटी 32.5फीसदी बढ़ाई
सरकार के एक फैसले ने एक ओर जहां जनता की परेशानी बढ़ा दी है तो वहीं इस निर्णय को किसान के हित में बताया जा रहा है। यह फैसला है क्रूड यानी कच्चा और रिफाइंड तेल पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाने का। जिससे सोयाबीन सरसों और मीठे तेल की कीमतों में बड़ा इजाफा हुआ है। सरकारी नोटिफिकेशन के अनुसार कस्टम डयूटी क्रूड ऑयल पर जीरो से बढ़ाकर 20 फीसदी ।जबकि रिफाइंड ऑयल पर अब 32.5 फीसदी कर दी गई है। कस्टम ड्यूटी में यह बदलाव 14 सितंबर से लागू हो चुका है। इसके बाद खाने के तेलों की कीमत 25 से 35 रुपए तक बढ़ गई है। वहीं सब्जी की बढ़ी हुई कीमतों का सामना जनता से पहले से कर रही है।
सोयाबीन में नुकसान बढ़ा सकता है और मुसीबत: कृषि और बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार तेल पर कस्टम डयूटी बढ़ाकर किसानों को अच्छी कीमत दिलाने की बात कह रही है ।लेकिन इसका ज्यादा असर आम जनता पर महंगाई के रूप में पड़ेगा। वर्तमान में सोयाबीन की फसल खेतों में खड़ी है। पिछले 5 से 10 साल के दौरान सोयाबीन की खेती में किसान बहुत ज्यादा नुकसान उठा चुका है जिसके चलते लगातार इसकी कीमतों मे उतार चढ़ाव बना रहेगा।