जिला कटनी
संवाददाता सचिन तिवारी
*कलेक्टर श्री प्रसाद की अपील* झाड़ -फूंक की बजाय सर्पदंश पीड़ित को तत्काल नजदीकी अस्पताल पहुंचायें
कटनी
करैत प्रजाति का जहरीला सांप काटने के बाद समय पर जिला चिकित्सालय में उपचार मिलने से कटनी के अमीरगंज निवासी तीन बहनों के इकलौते भाई 5 वर्षीय हरिकेश साहू की, धरती में भगवान का अवतार कहे जाने वाले डॉक्टरों ने जान बचा ली और साहू परिवार के घर के चिराग को बुझने से बचा लिया।
कलेक्टर श्री अवि प्रसाद ने जिलेवासियों से आग्रह किया है कि सांप या जहरीले जीव- जंतुओं के काटने की स्थिति में झाड़ -फूंक के बजाय पीड़ित को तत्काल नजदीकी अस्पताल में पहुंचायें। ताकि समय पर तत्परता से उपचार शुरू हो सके। कलेक्टर श्री प्रसाद ने हरिकेश का त्वरित उपचार शुरू कर नया जीवन देने के पुण्य कार्य में सहभागी बने स्वास्थ्य अमले की सराहना की है ।
जिला चिकित्सालय कटनी के वरिष्ठ डॉक्टर जे पी वर्मा और डाक्टर बरोडा बताते हैं कि सर्पदंश से पीड़ित हरिकेश साहू पिता मुन्ना साहू को 18 अगस्त को जिला चिकित्सालय के पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था।बायें हाथ की अनामिका अंगुली में जहरीले सांप करैत के काटने की वजह से हरिकेश की खराब हालत को देखते हुए उसे दो दिनों तक लगातार वेंटिलेटर में रखकर उसके स्वास्थ्य पर डॉक्टर्स द्वारा लगातार नजर रखी गई। हरिकेश को सांस लेने में हो रही दिक्कत की वजह से उसे कृत्रिम सांस द्वारा ऑक्सीजन दी गई हरिकेश, साहू परिवार की तीन बेटियों का इकलौता भाई है। हरिकेश के स्वास्थ्य में सुधार होने से अब साहू परिवार प्रफुल्लित है, बहनें भी अपने भाई को मिले नए जीवन के जश्न को इस रक्षाबंधन जमकर मनाने की तैयारी में है। साहू परिवार जिला चिकित्सालय के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की सराहना करते नहीं थक रहा ।वे कहते हैं डॉक्टर मनीष मिश्रा तो मेरे लिए साक्षात देवदूत की तरह हैं, जिनके अथक प्रयासों से ही हरिकेश को नई जिंदगी मिली है। डाक्टर्स के मुताबिक हरिकेश का स्वास्थ्य अब सामान्य है, जल्दी ही उसे छुट्टी दे दी जायेगी।
जिला अस्पताल में तैनात डाक्टर मनीष मिश्रा कहते हैं कि सर्पदंश के बाद प्रथम घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लग जाना चाहिए ।अक्सर लोग पहले तो झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। सांप जहरीला ना होने की स्थिति में वह ठीक भी हो जाते हैं ।लेकिन जहरीला सांप होने पर जब उन्हें झाड़ -फूंक से राहत नहीं मिलती ,वे तब अस्पताल जाते हैं ,मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए सांप काटने के बाद पीड़ित को सीधे अस्पताल लाने से पीड़ित की जान बच जाती है।हरिकेश इसका जीता जागता उदाहरण है। इसलिए सांप या कोई भी जहरीला जीव -जंतु काटने वाले मरीज को तत्काल नजदीकी अस्पताल में उपचार हेतु ले जाना चाहिए।जल्दी उपचार मिलने से मरीज की जिंदगी बचने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ मिश्रा बताते हैं कि भारत में मुख्य तौर पर दो तरह के सांपों के काटने की घटनाएं होती हैं। पहला करैत और दूसरा कोबरा। करैत के काटने की जगह ऐसी दिखती है कि जैसे किसी मच्छर ने काटा हो। लेकिन करैत के काटने के बाद काटने वाली जगह पर सूजन आती है। जबड़े और घुटने में दर्द शुरू हो जाता है। इसका मतलब यह है कि शरीर में जहर फैलने लगा है।
वहीं, अगर कोबरा काट ले तो उस जगह पर बहुत अधिक सूजन होती है, घाव की तरह दिखने लगता है। आंखों में परेशानी और पेट में अकड़न जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इन दोनों के ही काटने पर श्वास लेने में परेशानी होती है।