window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-VQJRB3319M'); घोड़ाडोंगरी: जामखोदर पंचायत की नाडेप निर्माण कागजों में बनकर तैयार, फर्जी बिल लगाकर निकाल ली राशि - MPCG News

घोड़ाडोंगरी: जामखोदर पंचायत की नाडेप निर्माण कागजों में बनकर तैयार, फर्जी बिल लगाकर निकाल ली राशि

सचिव और उपयंत्री की हुई बल्ले बल्ले, शासन के पैसों का कर रहे बंदरबाट

जीत आम्रवंशी,घोड़ाडोंगरी। स्वच्छ भारत मिशन और मनरेगा योजना के तहत पिछले दिनों जिले भर की ग्राम पंचायतों में स्वीकृत कर नाडेप बनाए गए। जिसमें आधे से अधिक नाडेप मौके से गायब हैं, जबकी संबंधित पंचायत द्वारा स्वीकृत कराए गए सभी निर्माण पोर्टल पर पूरे होना दिखाई दे रहे हैं। वहीं पंचायत के सरपंच और सचिव द्वारा स्वीकृत निर्माण के हिसाब से राशि का आहरण कर लिया गया है।

दरअसल मामला घोड़ाडोंगरी जनपद अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत का है जहां, जामखोदर पंचायत क्षेत्र में मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार के कारनामों की पोल लगातार खुलती जा रही हैं। इंजीनियर और अधिकारियों ने गांवों के कचरे को जैविक खाद में बदलने के नाम पर बने नाडेप टांका के निर्माण में राशि की जमकर बंदरबांट की है। कागजों में नाडेप टांकों का निर्माण दर्शाकर लाखो रुपए की राशि निकाली गई है, जबकि मौके पर कुछ चुनिंदा नाडेप ही पाए गए हैं।

गांव-गांव में कूड़े का सही प्रबंधन हो तथा रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करने के साथ ही किसान की आय भी बढ़े, इसके लिए सरकार द्वारा मनरेगा अंतर्गत गांव-गांव नाडेप कम्पोस्ट टंकी बनाने का कार्य शुरू हैं। लेकिन बैतूल जिले के आदिवासी तहसील घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में मनरेगा के अंतर्गत बन रहे नाडेप कम्पोस्ट टंकी न सिर्फ घटिया दर्जे के है बल्कि इसके निर्माण में नियमों तक को ताक पर रख दिया गया है।

25-25 हजार रुपए में बने पंचायत के एक से अधिक कई नाडेप गायब

घोड़ाडोंगरी जनपद पंचायत की जामखोडर पंचायत द्वारा पिछले दिनों गांव को साफ और स्वच्छ रखने के लिए 25-25 हजार की लागत से दर्जनों नापेड स्वीकृत कराए गए। जिसमें से गांव के अंदर गिने चुने दिखाई दे रहे हैं।

नाडेप बने ही नहीं उनकी राशि निकल गई, कागजों में बनकर तैयार

जिले भर की ग्राम पंचायतों में निर्मित नाडेप की ऊंचाई एक मीटर होती है। वहीं 5 मीटर बाई 2.25 मीटर की लंबाई और चौड़ाई होती है। लेकिन मौके पर कई नाडेप की ऊंचाई 6 से 8 इंच तक कम है। वहीं लंबाई और चौड़ाई में दो से तीन फीट कम है। यह सब अनियमितताएं होने के बाद भी संबंधित सेक्टर के उपयंत्री ने इसका मूल्यांकन कैसे कर दिया, यह गंभीर विषय है। वहीं जो नाडेप बने ही नहीं उनकी राशि कैसे निकल गई, यह जांच का विषय है।

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