51 कॉलेजों को ही मिली मान्यता
जबलपुर। एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी ने प्रदेश के 122 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने से इंकार कर दिया है. ये नर्सिंग कॉलेजों के मामले में प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है
इन कॉलेजों ने मान्यता लेने में लेटलतीफी की और नर्सिंग कॉलेज चलाने के लिए जरूरी मापदंडों को पूरा नहीं किया था। इसलिए इन पर गाज़ गिरी है।
मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बॉडी ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 122 नर्सिंग कॉलेजों को आगामी पाठ्यक्रम के लिए मान्यता देने से इनकार कर दिया है। यह सभी कॉलेज सत्र 2019- 20 और 2020-21 के लिए मान्यता लेने में देरी कर रहे थे। इनके द्वारा हीला हवाली भी बरती जा रही थी।
173 में से सिर्फ 51 को मान्यता
2 माह पहले पकड़े गए नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा के बाद इस बार मेडिकल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल बॉडी ने तमाम नियम कायदों और मापदंडों को बारीकी से परखा है। नतीजा यही रहा कि सिर्फ 51 नर्सिंग कॉलेजों को ही आगामी सत्र के लिए ही मान्यता दी गई जबकि 173 नर्सिंग कॉलेजों ने मान्यता के लिए आवेदन किया था। मेडिकल यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर डॉक्टर पवन स्थापक बताते हैं कि मेडिकल यूनिवर्सिटी का एकेडमिक कैलेंडर बेहद खराब हो गया है। लगभग अधिकांश पाठ्यक्रमों की परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही है। इसकी मूल वजह निजी कॉलेजों की अनियमितता सबसे बड़ी कही जा सकती है.मेडिकल यूनिवर्सिटी की साख बचाने और नींव मजबूत बनाए रखने के लिए ऐसे कठोर निर्णय लिए जाएंगे ताकि आगामी दिनों में विश्वविद्यालय की तस्वीर अच्छे रूप में उभरे।
कहीं फिर कोई गड़बड़ी तो नहीं
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता की तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि कॉलेजों ने मोटी मोटी फीस लेकर छात्रों का दाखिला ले लिया है। मान्यताओं के फेर में फंसे ऐसे नर्सिंग कॉलेज आखिर किन वजहों से मान्यता लेने में लेटलतीफी करते रहे हैं यह तो नहीं पता लेकिन इसके पीछे भी बड़ी गड़बड़ी की आशंका है। जो भी हो मेडिकल विश्वविद्यालय ने मान्यता से इनकार कर दिया है। ऐसे में इन सभी नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों की नींद उड़ी हुई है।