जुन्नारदेव राकेश कुमार बारासिया
वर्ष में एक बार मनाए जाने वाली होली का पर्व प्रारंभ हो गया है, साथ ही रंगों की टोली, फुलवारी, मस्ती, रंग और गुलाल के बीच मेलों का भी आरंभ हो गया है। होली के पावन त्यौहार में गांव में जगह-जगह मेलों की धूम भी रहती है। फागुन मास में मनाए जाने वाली होलिका दहन के पश्चात रंगों की होली के दिन से ही मेलों का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन देखा यह जाता है की मेलो के शुरू होने पर ग्राम पंचायत द्वारा किसी भी प्रकार की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं की जाती, जिससे मेले में आने वाले लोगों को एवं व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। होली के ही दिन जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बिलावर कला में भी मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण मेले का आनंद उठाने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन पंचायत द्वारा किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की जाती। मेला समिति द्वारा व्यापारियों से चंदा उगाही तो की जाती है लेकिन मेले में होने वाली भीड़ से ही दुपहिया वाहन चौपहिया वाहन आते जाते रहते हैं जिससे दुर्घटना का भय बना रहता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसी घटनाएं अक्सर देखने को भी मिलती है। पूरे मेले के दौरान केवल एक कोटवार के भरोसे ही मेला शुरू भी होता है और खत्म भी हो जाता है मेले की अच्छी व्यवस्था के लिए पंचायत का सजग होना बहुत जरूरी होता है, जिससे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। लेकिन पंचायत को इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता कि ग्रामीणों को किस बात से परेशानी होती है और किस बात से नहीं। इसलिए व्यवस्था के अभाव में ही मेले मालाखड़े चलते रहते हैं और मेला स्थान पर दंगा भड़काने एवं दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। कुछ वर्ष पूर्व इसी बिलावर कला के मेले में स्टोव फटने की वजह से एक दुर्घटना घटित हुई थी जिसमें मेले में आने वाले काफी ग्रामीण एवं दुकानदार हताहत भी हुए थे, बावजूद इसके पंचायत एवं पंचायत के कर्मचारी ऐसी घटनाओं से कोई सीख नहीं लेते हैं जिससे कि आने वाले समय में दुर्घटनाओं को रोका जा सके।