रात के सन्नाटे में गूंजती ट्रैक्टर की गड़गड़ाहट खम्हारिया और धीरौल में रेत माफिया बेखौफ, खनिज विभाग बना मूकदर्शक!
ज्ञानेंद्र पांडेय 7974034465
अनूपपुर। चचाई थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खम्हारिया और धीरौल ग्राम पंचायत की नदियाँ और नाले इन दिनों फिर से रेत माफियाओं के निशाने पर हैं। दिन में कानून के डर का दिखावा और रात के अंधेरे में खुलेआम रेत की लूट ऐसा प्रतीत होता है मानो शासन-प्रशासन के सभी दावे सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं।
हर रात ट्रैक्टरों की आवाजें, डिग्गियों की हलचल और रेत खनन की गतिविधियाँ यह साफ़ बयान कर रही हैं कि यहाँ न तो नियमों का डर है, न ही प्रशासन का खौफ।
प्रशासनिक नाकामी या मिलीभगत?
खनिज विभाग द्वारा पत्राचारों, बैठकों और आदेशों के माध्यम से अवैध खनन पर कार्रवाई की बात तो कही जाती है, लेकिन जब जमीनी हकीकत देखी जाती है, तो सवाल उठता है क्या खनिज विभाग सो रहा है या जानबूझकर आंखें मूंदे बैठा है?
हर दिन—हर रात—इन क्षेत्रों में रेत की चोरी की घटनाएं लगातार हो रही हैं, पर कार्रवाई शून्य। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि धीरौल के कुछ कथित वाहन संचालक तो पूरी तरह से चोरी की रेत पर ही निर्भर हैं। दिन में जुगाड़, रात में खनन, यही इनका रोज़मर्रा बन गया है।
क्या यही है गुड गवर्नेंस का चेहरा?
यह बात बेहद चिंताजनक है कि जहां एक ओर मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारी प्रदेश को “भ्रष्टाचार और अवैध खनन मुक्त” बनाने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खम्हारिया और धीरौल जैसे गांवों में अवैध रेत कारोबार की समानांतर व्यवस्था फल-फूल रही है।
इन अवैध रेत से बने निर्माण कार्य न केवल कानून का उपहास उड़ा रहे हैं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट भी कर रहे हैं। पर्यावरणीय संतुलन खतरे में है, पर जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ तमाशबीन बनकर रह गए हैं।