window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-VQJRB3319M'); नहीं थम रहा अवैध शराब का कारोबार ।प्रशासन बेसुध । - MPCG News

नहीं थम रहा अवैध शराब का कारोबार ।प्रशासन बेसुध ।

नहीं थम रहा अवैध शराब का कारोबार ।प्रशासन बेसुध ।

सांची,,,, क्षेत्र भर मे अवैध शराब का कारोबार थमने का नाम नहीं ले पा रहा है ।नशे की लत मे युवा वर्ग आगे बढ़ रहा है सम्बन्धित विभाग सहित पुलिस पूरी तरह बेखबर बनकर क्षेत्र वासियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
जानकारी के अनुसार इन दिनों क्षेत्र भर मे शराब माफिया का जाल फैला हुआ है इस पवित्र बौद्ध स्थली पर तो सरकार ने एक के स्थान पर दो दुकान खोल रखी है जिससे इन शराब दुकानों पर शाम ढलते मेले जैसा नजारा दिखाई देने लगता है सडको पर शराब के शौकीन अपने वाहनों का खडा कर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले वाहनों के लिए परेशानी का सबब बन जाते है इसके साथ ही आसपास सारे क्षेत्र में शराब का खुला कारोबार धडल्ले से चलाया जा रहा है शराब माफिया के वाहनों में शराब लादकर गांवगांव घर घर शराब पहुंचाई जाती हैं इस शराब से सबसे अधिक युवा वर्ग इसका आदि होता जा रहा है इस शराब के अवैध व्यापार से शराब माफिया की तो चांदी कट रही हैं परन्तु गरीब गुरबा परिवार उजडऩे पर मजबूर हो चुके है हालांकि इस शराब से अनेक परिवार टूट चुके है तथा कुछ टूटने की कगार पर पहुंच चुके है बताया जाता हैं शराब माफिया अपने को बचाने लंबी लंबी सेवा शुल्क से अपने को सुरक्षित कर लेते हैं इन दिनों शराब समाज का पूरी तरह बर्बाद करने का साधन बन चुका है एक तरफ सरकार एवं प्रशासन नशा मुक्त समाज की स्थापना की धींगे भरने में पीछे नहीं रहते दूसरी तरफ सरकार के ही प्रशासन चलाने वाले सम्बंधित अधिकारी इस नशे के खतरनाक खेल को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पाते जिससे सरकार एवं प्रशासन की नशामुक्ति अभियान मात्र कागजी बनकर रह जाता हैं तथा इस अभियान की मंशा पर पानी फिर जाता है ।सांची मे तो धडल्ले से शराब का कारोबार फलफूल रहा है जिससे इस प्रसिद्ध पवित्र बौद्ध स्थली की छवि दिनों दिन बिगडती जा रही हैं इसके साथ ही समीपवर्ती ग्राम काछीकानाखेडा आमखेड़ा त्रिमूर्ति चौराहा सहित गुलगांव ऐरन चिरोली सूखा करार उचेर जैसे अनेक गांव शराब की जकड़न मे जकड चुके है जब जब आबकारी विभाग के अधिकारियों से बात होती हैं तब एक ही जवाब सुना जाता है कि हमें शराब ढोने वाले वाहन क्र एवं शराब बेचने के पाइंट बताये जाये ।जब नागरिक ही सब ठिकाने बताने लगे तब सरकार आबकारी अमले पर लाखों करोड़ों के वेतन क्यों खर्च कर रही है इसी प्रकार पुलिस की नाक के नीचें सबकुछ होते हुए भी पुलिस अनजान बनी रहती हैं इससे सरकार की छवि पर प्रभाव पड़ता दिखाई देता है ।बहरहाल इस मामले में शराब माफिया पर लगाम लगाना असंभव सा दिखाई देता है तथा लोगो के परिवार उजडऩे लगते है ।इतना ही नहीं शराब माफिया की क्षेत्र भर में दहशत के चलते लोग चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाते ।

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