15 जुलाई को भडली नवमी पर शुभ सिद्ध मुहूर्त होंगी शादियां व मंगल कार्य,देवशयनी एकादशी से चार माह तक बंद होंगे मांगलिक कार्य
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
रायसेन।शहर सहित जिले में इन दिनों शादियों की रौनक जगह-जगह दिखाई दे रही है। इस समय आखिरी चरण के विवाह मुहूर्त चल रहे हैं। ऐसे में जगह-जगह बैंड बाजा बारात का नजारा दिखाई दे रहा है। विवाह के अब चंद शुभ मुहूर्त बाकी है इसके बाद देवशयनी एकादशी और चातुर्मास के साथ ही विवाह मुंडन गृहप्रवेश सहित बड़े मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। इसके बाद नवंबर में ही शादियों की रौनक दिखाई देगी।
देवशयनी एकादशी से बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
रायसेन।देवशयनी एकादशी के साथ 17 जुलाई मंगलवार से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी।ऐसी पौराणिक मान्यता है कि देवशयनी से देवउठनी एकादशी तक चार माह भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। ऐसे में मांगलिक कार्य आदि वर्जित रहते हैं। चातुर्मास में साधना और आराधना का विशेष महत्व है। इन चार माह में सबसे अधिक तीज त्योहार आते हैं। भगवान के विश्राम के कारण इस दौरान विवाह गृह प्रवेश मुंडन प्राण प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं। देवउठनी एकादशी पर तुलसी सालिगराम विवाह के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरू होंगे। देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। वहीं विवाह मुहूर्तों की शुरुआत 16 नवंबर से होगी।
अब भडली नवमीं और देवशयनी के दो मुहूर्त
इस बार मई और जून में गुरु शुक्र तारा अस्त होने के कारण लग्न मुहूर्त नहीं थे। जुलाई महीने से ही लग्न मुहूर्त की शुरुआत हुई थी। इसके चलते इस माह जमकर शादियां हो रही है। शुक्रवार को भी शुभ मुहूर्त में जमकर विवाह थे। इस दौरान शहर में अनेक स्थानों पर शादी समारोह की रौनक देर रात तक रही। सडक़ों पर बारातों का नजारा दिखाई दिया। अब 15 जुलाई सोमवार को भडली नवमी और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दो अबूझ शुभ मुहूर्त हैं।
भडली वमी मांगलिक कार्यों के लिए शुभ
इस मानसूनी सीजन में भडली नवमी के शुभ मुहूर्त में जमकर शादियां होने की उम्मीद है। भड़ली नवमी 15 जुलाई सोमवार को है। साल में आने वाले सिद्ध मुहूर्तों में भडलीनवमी का दिन भी विशेष माना गया है। यह दिन विवाह सहित अन्य शुभ कार्यों के लिए खास होता है। धर्मशास्त्री पं. ओमप्रकाश शुक्ला पंडित राममोहन चतुर्वेदी ने बताया कि पूरे साल में साढ़े तीन शुभ मुहूर्त माने गए हैं। इसमें देवशयनी एकादशी वसंत पंचमी और अक्षय तृतीया का दिन मांगलिक कार्यों के लिए स्वयंसिद्ध माना जाता है। जबकि भडली नवमी का दिन भी सिद्ध मुहूर्त के रूप में जाना जाता है।