,उन्नयन न होने से छात्रों को
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला रायसेन*
नहीं मिल पा रहा प्रवेश स्टाफ ले रहा बिना कामकाज के फ्री वेतन भवन भी होने लगा खण्डहर अधीक्षक सहित अन्य दूसरे शहरों में दे रहे सेवाएं
रायसेन/ सिलवानी। पिछले दो सालों से जिले की तहसील सिलवानी के नजदीक आदिवासी बहुल क्षेत्र प्रतापगढ में जिला आदिम जाति कल्याण विभाग रायसेन द्वारा संचालित के दो आदिवासी आश्रम चलते थे।लेकिन कोरोना संक्रमण काल के चलते इनआदिवासी आश्रमों में ग्रामीणों ने अपने बच्चे शिक्षा संस्कार हासिल करने उन्हें भेजना बंद कर दिया था ।जब से लेकर अब तक यह आश्रम बंद पड़े हुए हैं उनमें ताले डले हुए हैं।जबकि इन आश्रमों को संचालित करने के लिए अब अभिभावक और छात्र पढ़ाई के लिए फिलहाल कई उम्मीदें लगाए बैठे हुए हैं। लेकिन जिम्मेदार विभागीय के अधिकारी ने इन आश्रमों के छात्रावासों में उन्नयन के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। लेकिनआलम यह है कि पिछले तीन सालों में शासन न तो इन आश्रमों का उन्नयन कर पाया न ही अधीक्षको की पोस्टिंग।
वर्तमान व्यवस्था से संचालित कर रहे हैं बल्कि उन्नयन का इंतजार कर रहे हैं
उल्लेखनीय है कि दोनों छात्रावासों में 100- 100 सीटर छात्रों की क्षमता थी।छात्र यहीं हॉस्टल में पढ़ाई के साथ रहना खाना सभी शासन की ओर से करते थे।लेकिन अब तीन साल से छात्रों को उन्हें यह व्यवस्था नहीं मिल पा रही है। जबकि इन आश्रमों को संचालित करने वाला स्टाफ भी आश्रम में ताला लगाकर। अन्य शहरों में काम कर अपनी सेवाएं दे रहे हेँ ।जबकि उनकी पोस्टिंग प्रतापगढ़ में हैं, यहां उन्हें आना चाहिए।लेकिन वह नहीं आ रहे हैं। बच्चों के अभिभावक रामलाल टेकाम फुंदी लाल सेहरिया राजदीप गौंड ने कलेक्टर अरविंद दुबे जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग रायसेन सीपी सोनी से छात्रावास अधीक्षकों सहित स्टाफ की पुनः पदस्थापना किए जाने की मांग की है।ताकि उनके बच्चों का करियर बिगड़ने से बच सके।
इनका कहना है
आप चालू करवा दो हम तो यही उम्मीद लगाए हुए हैं
कोरोना महामारी के बाद से यह आदिवासी छात्रावास बंद हैं।शासन के पास उन्नयन की फाईल गई हैं।, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। जैसे ही उन्नयन होगा तो उसके मुताबिक छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। हम अभी सिलवानी छात्रावास में काम कर रहे हैं।सीपी सोनी जिला संयोजक ट्राइबल रायसेन