जिले में अधिकारी कानून को शिथिल करने का कर रहे हैं कू प्रयास
,बाड़ी, रायसेन जिले की बाड़ी
*दैनिक प्राईम संदेश*
*जिला ब्यूरो चीफ राजू *बैरागी*
*जिला रायसेन*
विकासखंड के दो दर्जन शासकीय कार्यालय लोक सूचना अधिकारी है या नहीं है यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है जनपद कार्यालय,, ग्रामीण यांत्रिक की विभाग, वेयरहाउस कॉरपोरेशन , सहित एक दर्जन सरकारी कार्यालय में सूचना अधिकार कानून का दम घुट रहा है विभाग के पास नगद राशि जमा करने और रसीद देने की कोई व्यवस्था नहीं समय सीमा पर जानकारी नहीं देना कानून अपराध कानून में लिखा है शिकायतकर्ता को 30 दिन में जानकारी देना अनिवार्य है जिसके लिए संबंधित विभाग को विभाग में आए मासिक आवेदन की जानकारी प्रपत्र में भरकर वरिष्ठ कार्यालय को भेजी जाती यदि कार्यालय को कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है तो प्रपत्र में नील जानकारी भेजी जाती है लेकिन बाड़ी नगर के शासकीय कार्यालय में यह व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है जनपद कार्यालय में लोक सूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सचिव को बनाया लेकिन सचिन कानून की जानकारी नहीं है या कानून को कानून नहीं मानते एक मजेदार बात यह है की जनपद कार्यालय बाड़ी में एक इंस्पेक्टर को लोक सूचना अधिकारी बनाया गया और जनपद अधिकारी को अपील अधिकारी बनाया गया सवाल उठता है एक छत के नीचे जानकारी और निराकरण करने की व्यवस्था की गई लेकिन लोक सूचना अधिकारी ना तो समय सीमा पर जानकारी देते हैं और ना अनुरोध करता से राशि जमा करने का डिमांड रखते हैं 1 वर्ष में दर्जनों आवेदन अपनी दशा खुद बता रहे हैं लोक सूचना अधिकारी जब समय सीमा पर जानकारी नहीं देते हैं तो फिर सूचना अधिकार का मतलब क्या है और उक्त लोक सूचना अधिकारी को किस आधार पर लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किया है कई आवेदन अपील अधिकारी के पास विचार का इंतजार कर रहे हैं समय सीमा पूर्ण हो गई पर अपील अधिकारी ने ना तो अपील करने वाले व्यक्ति को सूचना पत्र भेजा गया ना ही उसके प्रकरण का निराकरण होगा ऐसे लगभग 20 आवेदन जनपद कार्यालय में अधिकारियों की तानाशाही के चलते दम तोड़ रहे हैं इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र शर्मा ने जिला कलेक्टर को एक पत्र लिखकर 1 जनवरी से अगस्त माह तक जनपद कार्यालय में आवेदनों की जांच पड़ताल की जाए तो भारी गंभीर मामला सामने आएगा यहां पर शुल्क राशि में भी भारी हेरा फेरी का मामला सामने आएगा यह राशि खजाने में चालान के रूप में जमा नहीं हुई है यह गंभीर मामला जांच का विषय बना हुआ है अब देखना यह है कानून का मजाक उड़ाने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है जबकि बड़ी क्षेत्र के अधिकारी सूचना अधिकार कानून को निष्फल करने का प्रयास कर रहे हैं