परिवार की महत्वता और परिवार किसे कहते हैं पर दिए प्रवचन
जुन्नारदेव —–
वर्तमान में परिवार का महत्व खत्म होता जा रहा है किंतु परिवार सदैव ही आवश्यक रहा है परिवार घर के सभी सदस्यों से मिलकर बनता है और परिवार में एक दूसरे के सुख-दुख का विशेष ध्यान रखा जाता है ईश्वर ने भी संयुक्त परिवार को ही श्रेष्ठ बताया है जहां परिवार का महत्व सार्थक होता है वही देवताओं का वास होता है। उक्त आशय के उद्गार नगर के वार्ड क्रमांक 4 गायत्री मंदिर परिसर में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को भागवत आचार्य पंडित अमित कृष्ण महाराज वृंदावन धाम द्वारा व्यक्त किए गए आगे उन्होंने सुखदेव चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि शुकदेव महाभारत काल के मुनि थे। वे वेदव्यास के पुत्र थे। वे बचपने में ही ज्ञान प्राप्ति के लिये वन में चले गये थे। इन्होने ही परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण की कथा सुनायी थी। शुकदेव ने व्यास जी से महाभारत पढा था और उसे देवताओ को सुनाया था। ये बाल्यावस्था अवस्था में ही ब्रह्मलीन हो गये थे। भागवत कथा के दौरान भागवत आचार्य द्वारा भागवत में सत्य को परमेश्वर कहे जाने की बात कही गई है उन्होंने सत्य में ही परमेश्वर का वास होना बताया है अर्थात सत्य हमेशा सार्थक और सही सिद्ध होता है उन्होंने सदैव सत्य का साथ देने की बात कही। भागवत कथा का वचन प्रतिदिन दोपहर 1:00 से गायत्री मंदिर परिसर वार्ड क्रमांक 4 में किया जा रहा है। साहू समाज द्वारा कराई जा रही इस भागवत कथा में सैकड़ो की संख्या में नगर वासी प्रतिदिन कथा का आनंद ले रहे हैं साहू समाज द्वारा नगर की धर्म प्रेमी जनता से भागवत कथा का श्रवण कर धर्म लाभ अर्जित करने की अपील की है।