सर्दी का असर:जिला अस्पताल के एसएनसीयू में 70 प्रतिशत बच्चे निमोनिया के भर्ती,सर्दी में बच्चों में निमोनिया होने के कई कारण
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
रायसेन।सर्द हवाओं के बीच इन दिनों जिलेभर में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है।इस बार दिसंबर माह में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। जिसका सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर देखने को मिल रहा है। स्थिति यह है कि जिला अस्पताल के एसएनसीयू यानि बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई में इस समय 70 प्रतिशत बच्चे निमोनिया से पीड़ित हैं। जिन्हें ठीक होने में 7 दिन से भी ज्यादा समय लग रहा है। ऐसे में परिजनों को भी उनके साथ रुकना पड़ रहा है। जबकि देखने में यह आया है कि वार्ड में भर्ती कुल मरीजों में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की संख्या ज्यादा है।इनमें ऐसे बच्चे अधिक हैं कि जिनकी उम्र 5 साल से कम है। इसके अलावा जन्म के एक और दो माह बाद भी बच्चे निमोनिया से पीड़ित हो रहे हैं। सर्दी के मौसम में निमोनिया ज्यादा होने केे कारण और बचाव जानने के लिए मीडियाकर्मियों की टीम ने जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक राय से बातचीत की।
कम तापमान: सर्दियों में कम तापमान होने की वजह से भी निमोनिया का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण: निमोनिया के ज्यादातर मामले वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से होते हैं। संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
कमजोर इम्युनिटी: अगर किसी बच्चे की इम्यूनिटी यानि प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है तो उसे निमोनिया होने का खतरा ज्यादा होता है।
श्वसन जलन: बच्चे को यदि श्वसन संबंधी समस्याएं हैं तो उसे निमोनिया होने का खतरा होता है।
मौजूदा बीमारी: अगर किसी बच्चे को सर्दी या फ्लू जैसी बीमारी है तो उसे निमोनिया हो सकता है।
हवा में वायरस और बैक्टीरिया: सर्दियों में हवा में हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया की मौजूदगी भी निमोनिया का कारण बनती है।
श्वास नली का संकरा होना:सर्दियों में अक्सर बच्चों की श्वांस नली सिकुड़ जाती है।जिससे बच्चों को खाने पीने की चीजों को हल्क में निगलने में बहुत परेशानी होती है।