श्री शिवमहापुराण 18 पुराणों में से एक है आचार्य पं पीलेश कृष्ण शास्त्री
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
सांचेत ग्राम अंडिया में हनुमान मंदिर परिसर पर चल रही श्री शिव महा पुराण के चौथे दिन रविवार को कथाव्यास आचार्य पं, पीलेश कृष्ण शास्त्री महाराज ने में बताया शिव पुराण कथा नियम और लाभ शिव भक्तों के लिए बेहद जरूरी शिव पुराण जिसमें कुल 7 भाग संहिता है। इन संहिताओं में शिव पुराण पाठ के नियम, विधि और पुराण पाठ के लाभ सहित शिव लीला की कथाएं हैं। इनके पाठ से शिव भक्त लोक और परलोक दोनों ही जगह सुख पाते हैं। आचार्य पं, पीलेश कृष्ण शास्त्री महाराज ने श्री शिव महापुराण में सुनाया शिव पुराण 18 पुराणों में से एक है जिसमें भगवान शिव की लीला कथाओं और इनकी पूजा विधि सहित शिवलिंग की उत्पत्ति और शिव भक्ति से संबंधित कथाएं हैं। शिव पुराण का पाठ आप कभी भी शुभ मुहूर्त में आयोजन कर सकते हैं। लेकिन सावन के महीने में शिव पुराण को पढना और सुनना बहुत ही पुण्यदायी होता है। शिव पुराण में चंचला और उसके पति बिंदुग की कथा मिलती जिन्होंने शिव पुराण के श्रवण से शिवलोक में स्थान पाया। इन्हीं की कथाओं में शिव पुराण के महत्व का वर्णन भी मिलता है। साथ ही महर्षि व्यासजी के शिष्य सूतजी बताते हैं कि किस प्रकार से शिव पुराण का श्रवण करना चाहिए और इसे सुनने वालों को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए शिव पुराण सुनने वालों के लिए जरूरी नियम
शिव पुराण का आयोजन जब भी करें तो संभव हो तो सभी मित्रों कुटुंबों और जो भी इसे सुनने की इच्छा रखते हैं उन्हें इसकी सूचना दे दें ताकि वह भी इसके श्रवन का लाभ ले पाएं शिव पुराण कथा श्रवण से पहले यह संकल्प करें कि आप ध्यान पूर्वक कथा का श्रवण करेंगे और मन को शिवजी की में लगाए रखने का प्रयास करेंगे जब तक शिव पुराण का पाठ हर दिन समाप्त न हो जाए तब तक निराहार रहकर कथा का श्रवण करना चाहिए शिव पुराण श्रवण और पाठ का संकल्प लेने वाले को जब तक पूरा पाठ समाप्त न हो जाए एक समय ही भोजन करना चाहिए साथ ही भोजन सात्विक होना चाहिए शिव पुराण की कथा श्रवण जब तक आप सुन रहे हों। यानी जितने दिनों तक शिव पुराण की कथा चले तब तक मसूर की दाल गाजर बासी भोजन हींग लहसुन प्याज जला अन्न सेम और हैवी भोजन (गरिष्ठ भोजन) के अलावा मांस मदिरा के सेवन से परहेज रखना चाहिए शिव पुराण की कथा सुनने वाले व्यक्ति को उस समय अवधि तक ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए जब तक कि कथा का समापन नहीं हो जाए हर दिन शिव पुराण की कथा आरंभ और समाप्त होने पर शिव पुराण की पूजा करनी चाहिए और अगर किसी पंडित से पाठ करवा रहे हों तो उसे प्रणाम करके दान दक्षिणा देना चाहिए।
शिव पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति बुद्धि भष्ट हो जाने से परस्त्रीगामी हो जाते हैं। उन्हें घोर नरक में जाना पड़ता है जैसा कि चंचला के पति बिन्दुग को नरक भोगन पड़ा था। लेकिन चंचला ने शिव पुराण के श्रवण से पति को पाप से मुक्ति दिलाई थी।
शिव पुराण की कथा से संतानहीन लोगों की गोद भी शिवजी भरते हैं गंभीर रोगी भाग्यहीन व्यक्ति को भी शिव पुराण की कथा से लाभ मिलता है इसलिए भक्ति भाव और मन में श्रद्धा रखकर विश्वास के साथ शिव पुराण की कथा का श्रवण करना चाहिए। मन में अविश्वास होने पर फल की प्राप्ति नहीं होती है