स्लग – मुस्लिम समुदाय के द्वारा धूमधाम से मनाया गया ईद मिलाद उन नबी का त्यौहार
रामानुजगंज में मुस्लिम समुदाय के द्वारा हजरत मोहम्मद मुस्तफा साहब जो आलमे इस्लाम के आखिरी पैगंबर माने जाते हैं उनकी विलादत (जन्मदिन) की खुशी में रामानुजगंज मुस्लिम समुदाय के द्वारा विशाल पैदल के बाद बाईक रैली निकालकर उनकी विलादत् पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए पूरे शहर का भ्रमण किया हजरत मोहम्मद मुस्तफा साहब के विलादत की खुशी में मुस्लिम समुदाय के द्वारा पूरे शहर को सजाया गया साथ ही सभी मोहल्ले में मोहल्ले वासियों के द्वारा जुलूस ए मोहम्मदिया में शामिल लोगों को फल और बच्चों को बिस्किट और चॉकलेट बाटा और जुलूस के जरिए हजरत मोहम्मद साहब के पैगाम को बताया और उनके रास्ते पर चलने का संदेश दिया साथ ही देश में अमन सुकून और चैन बना रहे इसके लिए सभी लोगों ने रामानुजगंज जमा मस्जिद में दुआ मांगी इस मौके पर रामानुजगंज अंजुमन कमेटी के सदर मो. रुस्तम खान, खलीक अहमद, इम्तियाज़ खान बेलाल अंसारी, शब्बीर अंसारी, डॉ रेयाज अहमद, डॉक्टर नियाजउद्दीन, यूनुस खान, डॉक्टर लुकमान अहमद, कमाल अहमद सहित ईद मिलादुन्नबी के अध्यक्ष तौकीर राजा, सेक्रेटरी एजाज अंसारी, सचिन सद्दाम मंसूरी, सहसचिव गौसु खान, आरिफ खान, तेज, मो. शाहरुख खान, साहिल मंसूरी, सोहराब खान, नौशाद अंसारी, जुनैद खान राजू अंसारी सहित हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग उपस्थित रहे
पुलिस विभाग भी सक्रिय
जुलूस को लेकर पुलिस विभाग भी काफी सक्रिय देखने को मिली जिसमें मुख्य रूप से रामानुजगंज थाना प्रभारी संतलाल आयाम अतुल दुबे शिवलाल संदीप पुरोहित सहित महिला रक्षण भी तैनात रही
पैगंबर मोहम्मद साहब से जुड़ी कुछ बातें
पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था. पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था. जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई थी
इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है. पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन की खुशी में यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है. आइए ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी 10 अहम बातों के बारे में जानते हैं.
1. पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था. पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था. जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई. मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे. इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था.
2. पैगंबर की पत्नी आयशा के मुताबिक, पैगंबर घर के कामों में भी मदद करते थे. घर के काम करने के बाद वह प्रार्थना के लिए बाहर जाते थे. कहा जाता है कि वह बकरियों का दूध भी दुहते थे और अपने कपड़े भी खुद धुलते थे.
3. पैगंबर मोहम्मद मूर्ति पूजा या किसी भी चित्र की पूजा के खिलाफ थे. यही वजह है कि उनकी कहीं भी तस्वीर या मूर्ति नहीं मिलती है. बता दें कि इस्लाम में मूर्ति पूजन की मनाही है.