मासूम बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे स्कूल प्रबंधन व वाहन मालिक।
भेड बकरियों के तरह ठूंस -ठूस कर भर रहे छमता से दस गुना बच्चे।
*अरविंद सिंह परिवार सीधी*
ट्राफिक पुलिस द्वारा आये दिन स्कूली वाहनों की चैकिंग की जा रही है। लेकिन यह चैकिंग सिर्फ स्कूलों के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए किराए से लगी टैक्सी चालक अधिक कमाई के चक्कर में मासूम बच्चों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहें है। 4
इन दोनों जिम्मेवारों की लापरवाही व निष्क्रियता के चलते मासूम स्कूली बच्चों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जहां वाहन मालिक क्षमता से व निर्धारित सीटों से 10 गुना अधिक बच्चों को ठूस- ठूस कर भरकर ले जा रहे हैं वहीं जिम्मेवार अधिकारियों कर्मचारियों के साथ स्कूल प्रबंधन व अभिभावक भी निष्क्री व अनजान बने हुए हैं। उन्हें होश तब आता है जब दुर्घटना घटित हो जाती है।
ऐसा ही ताजा मामला इन दोनों जिले के मझौली जनपद शिक्षा केंद्र अंतर्गत नगर परिषद मझौली वार्ड क्रमांक 12 में संचालित नामी -गिरामी स्कूल विंध्य दीपिका अकैडमी मझौली में देखने को मिल रहा है जहां आधा दर्जन से अधिक वाहन बच्चों को ढोते देखे जा रहे हैं जो आरटीई के नियमों को तो छोड़िए वाहन के स्थिति ऐसी देखी जा रही है कि कहीं भी दुर्घटनाएं घटित हो सकती हैं। यहां बिना नंबर एवं पर्सनल परमिट के वाहन भी क्षमता व निर्धारित सीटों से 10 गुना बच्चे ठूंस -ठूस कर भर ढोने में लगे हुए हैं। वही मासूम बच्चों को इतना डरा -समझा कर इतना परिपक्व बना दिया गया है कि वह चाहे भले ही एक दूसरे के ऊपर बैठे हो पर यह नहीं बोल पा रहे हैं कि हमें कष्ट है जबकि इन्हें लगभग 10 किलोमीटर की दूरी इसी स्थिति में तय करनी होती है। ऐसे में यदि मीडिया के लोग फोटो वीडियो बना सुधारात्मक प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों को भेज देते हैं तो स्कूल प्रबंधन के साथ वाहन चालक एवं मालिक को नागौर गुजरता है और मीडिया के लोगों से अभद्रता करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
सवाल यह नहीं है कि ज्यादा बच्चे बैठा कर वाहन मालिक एवं स्कूल प्रबंधन अधिक आय बटोरने में लगा हुआ है सवाल तक खड़ा होगा जब बिना बीमा परमिट के कंडम वाहन में एवं पर्सनल परमिट पास वाहन में बैठे बच्चे (ईश्वर ना करें कि ऐसा हो) पर अनहोनी को कौन टाल सकता है दुर्घटना का शिकार हो जाए ऐसे में इन बच्चों की जिम्मेदारी कौन लेगा। क्या अभिभावक दुर्घटना के बाद स्कूल प्रबंधन एवं वाहन मालिक के इस लापरवाही एवं निष्क्रियता को सहन कर पाएंगे या अपनी गलती पर पश्चात्ताप कर पाएंगे।
या की अन्य घटनाओं के तरह इस लापरवाही एवं निष्क्रियता से घटित दुर्घटना को शासन- प्रशासन सिरोधार डालते हुए धरना प्रदर्शन एवं चक्का जाम कर शासन- प्रशासन से नियम विरुद्ध तरीके से दुर्घटना की राशि वसूलने का प्रयास करेंगे?
अब देखना होगा जबकि अभिभावकों के सामने कंडम व पर्सनल परमिट के वाहन चालक व मालिक बच्चों को ठूस- ठूस भर कर ले जाते हैं तथा स्कूल प्रबंधन के समक्ष प्रस्तुत करते हैं ऐसे में स्कूल प्रबंधन एवं अभिभावकों के साथ अन्य जिम्मेदार अधिकारी क्या कुछ कवायत करते हैं।