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एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के कोयला खदानों में हो रहे नियम विरुद्ध कार्यों पर जिम्मेदार एजेसियों की नजर क्यों नहीं पड़ती

सुरजपुर भटगांव
संवाददाता शत्रुघन तिवारी

महाप्रबंधक की मेहरबानी चरम पर वास्तविक डेजीगनेशन पद से अलग मलाईदार पदों पर बैठाया गया है कर्मचारियों को

ऐसी क्या मजबूरी हुई महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार की जो बिना कोई क्लर्क की परीक्षा पास किए कर्मचारियों को बैठना पड़ा संवेदनशील पदों पर

मेहरबानी ऐसी महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार की जो बंद पड़े खदानों में चहेतों को दिया गया है काम जो आवश्यक कर्मचारी घर में बैठकर प्रतिमाह कंपनी से ले रहे हैं लाखों रुपए का वेतन

सुरजपुर/भटगाँव/16 जून 2024:– एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में वर्तमान कुछ समय सें एक भी कार्य नियमों कानूनों के प्रावधानों के अनुरूप नहीं किया जा रहा है एवं नियमों व कानूनों के प्रावधानों के अनुरूप सभी कर्य कराने के जिम्मेदार एजेंसी, अधिकारी के समक्ष शिकायत के वावजूद भी किसी भी प्रकार का कोई कार्यवाही या सुधार का न होना यह दिखलाता है कि कमिशन व पैसों में बहुत ताकत होती है इसीलिए पैसा के सामने अच्छे अच्छे ताकतवर लो नतमस्तक हो जाते है फिर जांच एजेंसियां और जिम्मेदार अधिकारी क्या है इसके सामने क्योंकि पैसा खुदा तो नहीं लेकिन खुदा से भी कम नहीं होता।

DGMS यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ माईन सेफ्टी व उनके सहयोगी DDMS जो कि रायगढ़ में मुख्यालय है। एसईसीएल के खदानों में सभी कार्य कानूनों के अनुरूप सही ढंग से व सही डेजीगनेशन के कर्मचारियों द्वारा हो यह सुनिश्चित करने के जिम्मेदार होते हैं। भटगांव क्षेत्र में सैकडो के तादाद में कर्मचारी है जिनका डेजीगनेशन जो निर्धारित है उस पर कार्य न कर अधिकारियों को कमीशन, घुस, रिश्वत व चममागिरी वाले गुणों से खुश कर वास्तविक डेजीगनेशन (पद) से हटकर मलाईदार जगहों पर कार्यरत है कर्मचारी।

एसईसीएल महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार की मेहरबानी से एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में चहेतों की बल्ले बल्ले है जहा चहेतों को महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार मानों उनके मन मुताबिक कार्य सौंपने में पूछे नहीं हट रहे है जैसे की ट्रिपमैने कार्य उनका किसी भी ओपन कास्ट माईनस में ट्रिप की गिनती करना है जो ट्रकों व हालपेक डंपरो आदि से माइनिंग कार्यो में होता है। पर यहा भटगॉव क्षेत्र में कुछ, हाजिरी बाबू (टाईम कीपर), बिलिंग बाबू (विलिंग क्लई) व रेस्टहाऊस कीपर जैसे पदों पर बिना कोई क्लर्क का परीक्षा पास किये ही इतने संवेदनशील पदों पर कार्यरत है वो भी कई वर्षों से।

यह देखा जाए तो CMR-1957/2017 DGMS के कानूनों का वयलेशन है तथा उस पर साबित होने पर दण्डनीय अपराध व सजा का प्रावधान है। परंतु DGMS/DDMS के समक्ष लिखित शिकायतों जिनमें कर्मचारियों का नाम व उनका डेजीगनेशन सहित, सारी जानकारी देने के बाद भी कभी कार्यवाही का न होना तथा आज दिनांक तक वे सभी कर्मचारी वही उसी तरह दूसरे पदों पर कार्यरत है इससे यह समझा जा सकता है कि नियम कानूनों के प्रावधानों का कोई महत्व नहीं या यह सिर्फ दबे कुचले व गरीब मजदूरों के लिए सुनिश्चित है। बड़े दंबगो व रसूखदार लोग महाप्रबंधक से साठगाँठ व रिश्वत देकर जो चाहे वह कार्य कर रहे है जिन पर शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होता यह इन जैसे जांच एजेंसियों पर सवालिया निशान खड़ा करता है।

एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में महाप्रबंधक प्रदीप कुमार द्वारा एक और सेवा भी अपने खास लोगों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है जो यह है कि जितने भी बंद पड़े खदान है जैसे दुग्गा ओसीएम जो लगभग 15 वर्षों से डिस्कंटीन्यू है और वर्किंग बंद है, महान- 1 जो तीन से चार वर्षों से बंद पड़ी है, महान- 2 ओसीएम भी बंद है। उन खदानों में कुछ खास व पंसदीदा कर्मचारियों को पदस्थ कर रखा गया है जो घर से ही बैठ कर प्रतिमाह अपना पूरा वेतन का पैसा कंपनी से ले रहे है जिनमें माइनिंग सरदार, ओवरमैन तो है ही यहां तक तो ठीक है पर डंपर, डोजर फीटर, फोरमैन जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत कर्मचारी जिनकी आवश्यकस महान- 03 जैसे कार्यरत खदानों में है वे यहाँ बंद पड़ी खदानों में बैठाकर कर लाखो रुपये प्रतिमाह वेतन कर्मचारियों को क्यों दे रहा है। यह क्रोनोलॉजी को समझा जा सकता है यह सभी लोग महाप्रबंधक के खास व करीबी लोग है तथा उन्हें खुश कर रखते हैं।

*क्या कहता है नियम*

भारत में कोयला खदानों में परिचालन को खान अधिनियम – 1952, खान नियम -1955, कोयला खान विनियमन -2017 और इसके तहत बनाए गए कई अन्य क़ानूनों द्वारा विनियमित किया जाता है तथा केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (एमओएलएंडई) के तहत खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) को इन क़ानूनों को लागू करने का काम सौंपा गया है।

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