*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
रायसेन। जिला शिक्षा केंद्र रायसेन में सरकारी स्कूलों में प्रति नियुक्ति पर सदस्य सीएससी और बीएसई के कार्यकाल का सत्र अप्रैल महीने में समाप्त हो चुका है ।इसके बावजूद भी अधिकारियों की मेहरबानी से वह अपनी कुर्सियों पर जमे हुए हैं ।जिससे वह कमाई करके खुद और अधिकारियों की जेबें भर रहे हैं। बीएसी और सीएसी को पदों से हटाए जाने का आजाद अध्यापक संघ के भोपाल संभाग के उपाध्यक्ष सीताराम रायकवार नए विरुद्ध दर्ज करते हुए बताया कि जल्द ही कलेक्टर अरविंद दुबे से मुलाकात का ज्ञापन सौंपापा जाएगा।
यह है सीएसी और बीएसी के काम
● सीएसी अपने क्लस्टर में 20 से लेकर 40 स्कूल की मॉनीटरिंग करते हैं। इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट डीपीसी रायसेन को सौंपते हैं।
● बीएसी ब्लॉक की मॉनीटरिंग करते हैं। उसके बाद यह जानकारी डीपीसी रायसेन को भेज देते हैं।
राज्य शिक्षा केन्द्र के सख्त आदेश हैं कि सीएसी (कलस्टर अकादमिक कॉर्डिनेटर) और बीएसी (ब्लॉक अकादमिक कॉर्डिनेटर) की प्रतिनियुक्ति दो वर्ष से अधिक न हो।इसके साथ ही काउंसलिंग समय पर हो। जिससे पात्र लोगों को सीएसी और बीएसी बनने का मौका मिलता रहे। लेकिन इस आदेश का रायसेन जिले में पालन न होकर सरे आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। साढ़े चार-पांच साल पूर्व जिन शिक्षकों को सीएसी और बीएसी बनाया गया था। डीपीसी टीआर रैकवार के रहमोकरम से वे अपनी प्रतिनियुक्ति दिनांक अप्रैल महीने में समाप्त होने के बाद भी काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष हुई काउंसलिंग जो आपत्ति के बाद स्थगित हो गई थी। उसके बाद से अभी तक काउंसलिंग नहीं कराई है। सीएसी और बीएसी पद की प्रतिनियुक्ति के लिए काउंसलिंग न कराकर अनुमति देकर उनको अभी तक मौका दिए जाने पर बड़े स्तर पर खेल चल रहा है।
नियम विरुद्ध दी जा रही है अनुमति
काउंसलिंग न कराने से खफा कई शिक्षकों ने कहा कि प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के बाद भी काउंसलिंग न कराकर नियम विरुद्ध अनुमति स्थानीय अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। जिसकी कई बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।उनका कहना था कि हाल ही में प्रदेश के सभी बीएसी का पांच दिवसीय एफएलएन प्रशिक्षण अन्य जिलों में राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर आयोजित किया गया। प्रशिक्षण ऐसे लोगों को दिया गया जो अपनी प्रतिनियुक्ति अवधि को ही पार कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि नए लोगों को नियुक्त कर प्रशिक्षण दिया जाता तो यह प्रशिक्षण सार्थक होता। इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग के अफसरों को जांच कराना चाहिए।
नहीं हुई काउंसलिंग
सूत्र बताते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्र के यह नियम है कि डीपीसी विजय नेमा के ट्रांसफ़र के बाद टीआर रैकवार आए थे ।जिन्होंने प्रतिनिधि के मामले में कुछ प्रयास भी किए थे ।हालांकि जिला पंचायत रायसेन में काउंसलिंग के बाद विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने वरिष्ठता सूची में जानकारी गलत भरकर भेज दी थी ।जो विवादों के घेरे में रही। कई शिक्षकों ने इसका विरोध भी किया था बाद में यह प्रतिनिधियां निरस्त हो गई थी।
नियमों का कड़ाई से पालन नहीं
सूत्र बताते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्र के नियम है कि सीएसी अलग-अलग विषय का होना चाहिए। लेकिन नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए कई जगह ऐसे बीएसी बनाए गए हैं जो एक ही विषय के हैं। जबकि बीएसी में एक विज्ञान और दूसरा सामाजिक विज्ञान का होना चाहिए था। इसके अलावा राज शिक्षा केंद्र के नियम है कि 52 वर्ष से अधिक उम्र के बीएसी और सीएसी नहीं होना चाहिए। लेकिन कई जगह अधिक उम्र होने के बावजूद भी अपने पदों पर डटे हुए हैं।