window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-VQJRB3319M'); बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं सुरक्षित मातृत्व अभियान अंतर्गत व्याख्यान माला एवं रंगोली प्रतियोगिता संपन्न - MPCG News

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं सुरक्षित मातृत्व अभियान अंतर्गत व्याख्यान माला एवं रंगोली प्रतियोगिता संपन्न

 

जुन्नारदेव —–

नगर के शासकीय महाविद्यालय जुन्नारदेव में महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को कार्यालय कलेक्टर (महिला एवं बाल विकास विभाग) छिन्दवाड़ा के निर्देशानुसार बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं एवं सुरक्षित मातृत्व अभियान अन्तर्गत व्याख्यान माला एवं रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महिला बाल विकास पर्यवेक्षक बिन्दु माहोरे एवं सुनीता चंचल, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ ताण्डेकर रहे कार्यक्रम अध्यक्ष महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ संगीता वाशिंगटन, एवं समस्त महाविद्यालय स्टाफ की उपस्थिति एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. कविता मुकाती के कुशल संचालन में आरंभ किया गया।
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं एवं सुरक्षित मातृत्व अभियान की संक्षिप्त जानकारी से अवगत कराया। तत्पश्चात् कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुश्री माहोरे ने बाल विवाह से होने वाले असुरक्षित मातृत्व के दुष्परिणामों से अवगत कराया और सुरक्षित मातृत्व अभियान अन्तर्गत शासन की योजनाओं के लाभ को परिलक्षित किया। उद्बोधन श्रंखला में डॉ. रश्मि नागवंशी ने सुरक्षित मातृत्व हेतु परिवार का वातावरण शुद्ध सात्विक बनाने पर बल दिया साथ ही घरेलू हिंसा, नशा मुक्ति, दहेज पाबंदी पर अपने विचार प्रेषित किये। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए. के. ताण्डेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि नारी का स्थान ऐतिहासिक काल से ही सम्माननीय रहा है। स्वयंवर प्रथा इसका स्वतंत्र उदाहरण है, जहाँ नारी का अपमान हुआ है वहाँ विराट महाभारत भी इसकी साक्षी है। देश की आधी आबादी को आज अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बधाई प्रेषित करता हूँ। प्रो. आर. डी. वाडिवा ने कन्या को साक्षात् लक्ष्मी का अवतार माना है, यह दोहरे जीवन की साक्षात प्रतिमूर्ति भी होती है। हम यह भी कह सकते है कि बच्चियों के आने से ही संस्कार माँ-बाप में आना स्वाभाविक गुण हो जाता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. संगीता वाशिंगटन ने कहा कि अतिथि देवो भवः की कल्पना से हम आज के कार्यक्रम में आगंतुक अतिथियों का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान पर प्रकाश डालने का प्रयास करती हूँ। उन्होेंने बेटियों के लिए कविता प्रस्तुत की- ‘‘श्रृष्टि का सृजन है बेटी, घर का आंगन है बेटी, जिन्दगी को जिन्दगी से जोड़ते जाओ, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं। अंत में समानता का भाव रखते हुए प्रतिवर्ष महिला दिवस मनाते रहने की शुभकामनाएँ दी।
कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन डॉ. रीना मेश्राम ने बताया कि जिस प्रकार गाड़ी को चलाने के लिए पहिए की आवश्यकता होती है उसी प्रकार संसार में महिला एवं पुरूष एक दूसरे के पूरक है इन्हीं वचनों के साथ उन्होंने सभी का आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय स्टाफ एवं छात्र/छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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