गांजा तस्करी का काला साम्राज्य:दिगंबर और दीपक की नशे की सत्ता’ से कराहता कोयलांचल कब जागेगा प्रशासन?
ज्ञानेंद्र पांडेय 7974034465 अनूपपुर:कोयलांचल क्षेत्र जहाँ कोयले की खदानों से विकास की उम्मीदें जुड़ी थीं आज गांजे की दुर्गंध से बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। गिरवा, अमलाई, बरगवां, ओपीएम, अमराडंडी से लेकर बुढार और अनूपपुर तक फैला हुआ है एक अघोषित नशा साम्राज्य, जिसे संचालित कर रहे हैं दो चर्चित नाम: दिगंबर और दीपक। इन दोनों पर गांजे की तस्करी, नाबालिगों को अवैध कारोबार में शामिल करने, और संगठित अपराध सिंडिकेट खड़ा करने के गंभीर आरोप हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की चुप्पी और कानून की निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है।
गांव-गांव फैला नशे का जाल, युवाओं का भविष्य खतरे में
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि दिगंबर और दीपक का सिंडिकेट बेरोजगार युवाओं को आसान पैसे का लालच देकर अपने साथ जोड़ता है। यह जाल इतना संगठित है कि कई नाबालिग भी अब इस नेटवर्क का हिस्सा बन चुके हैं।
गांजे की छोटी-बड़ी पुड़ियाँ अब स्कूलों, कॉलेजों, बस स्टैंडों और बाजारों में खुलेआम बिक रही हैं।
माता-पिता की आंखों के सामने उनके बच्चों का भविष्य नशे की आग में जल रहा है। अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले इन युवाओं के हाथ में अब कलम नहीं, गांजे की पुड़ियाँ हैं।
करोड़ों की संपत्ति, लेकिन कोई पूछताछ नहीं!
सवाल उठता है कि कुछ ही वर्षों में दिगंबर और दीपक जैसे तस्करों ने करोड़ों की संपत्ति कैसे बना ली?महंगी लग्जरीगाड़ियाँ ,बेशकीमतीजमीनें ,आलीशान मकान ,बेहिसाब नकदी क्या यह सब पुलिस और प्रशासन की जानकारी में नहीं? या फिर जानबूझकर आँखें मूंद ली गई हैं? सूत्रों का कहना है कि यदि इनकी संपत्ति और नेटवर्क की ईमानदारी से जांच हो, तो इसमें कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं स्थानीय व्यापारी, सफेदपोश नेता, यहां तक कि कुछ अधिकारी भी।
प्रशासन की नाकामी या मिलीभगत?
जब नारकोटिक्स विभाग और पुलिस विभाग नशा कारोबार पर नकेल कसने के दावे करते हैं, तब यह सवाल और भी गंभीर हो जाता है कि दिगंबर और दीपक जैसे अपराधी पुलिस को खुलेआम चुनौती देकर व्यापार क्यों चला रहे हैं?अब तक कोई बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
इस चुप्पी के पीछे क्या कोई राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण है?
यह सिर्फ नशा नहीं, सामाजिक विनाश है
यह मामला केवल अवैध गांजा तस्करी का नहीं है।
यह है युवाओं की बर्बादी का मुद्दा समाज के नैतिक ढांचे पर हमला कानून व्यवस्था की धज्जियों का सवाल और एक पूरे क्षेत्र को अंधकार में धकेलने का खतरा
अब नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी..
यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में यह पूरा क्षेत्र अपराध, नशा और अराजकता का गढ़ बन जाएगा। इसके लिए जिम्मेदार होंगे सिर्फ वे तस्कर नहीं, बल्कि वो चुप्पी साधे अफसर और नेता भी जो आज हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं।
अब उंगली नहीं, कानून का हथौड़ा चले.
समाज को नशे से बचाने के लिए सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, अब निर्णायक कार्रवाई की ज़रूरत है।दिगंबर और दीपक जैसे तस्करों पर अब उंगली नहीं, कानून का हथौड़ा चलना चाहिए।